चंद्रयान 3 की सफलता ने पूरे चांद पर झंडे गाड़कर वाह वाही लूटी है। अब सूरज की बारी है। चांद पर पहुंचना थोड़ा आसान था, लेकिन लाखों करोड़ों सेलसियस के नजदीक पहुंचना काफी मुशिकल है। आश्चर्य की बात ये है कि आदित्य एल1 का बजट सिर्फ 400 करोड़ रुपए है जो चंद्रयान 3 मिशन से 200 करोड़ रुपये कम है। चंद्रयान 3 में 615 करोंड़ रुपये खर्च हुए थे। वहीं दूसरी ओर ये नासा के सूर्य मिशन से 97 प्रतिशत सस्ता भी है। भारत के पहले सूर्य मिशन आदित्य एल1 मिशन की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। पिछले माह चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। भारत दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। भारत अब सूर्य पर अपना पहला मिशन लॉन्च करने के लिए तैयार है। भारत और इसरो को आदित्य एल 1 सूर्या मिशन से काफी उम्मीदें हैं। आदित्य एल1 मिशन सतीश धवन स्पेस बेस से लॉन्च किया जाएगा।
सूर्य के बारे में देगा जानकारी
पीएसएलवी-सी 57 रॉकेट आदित्य एल 1 सैटेलाइट को पृथ्वी की निचली कक्षा में लॉन्च करेगा। लॉन्च सुबह 11:50 बजे होगा। सूर्य और पृथ्वी के बीच एक एल 1 बिंदु है। इसे हेलो ऑर्बिट कहा जाता है। वहां आदित्य एल1 स्थापित किया जाएगा। यह मिशन सूर्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराएगा। उम्मीद है कि सूर्य के बारे में कई अनजाने रहस्य उजागर होंगे। आपको सूर्य की विभिन्न परतों के बारे में जानकारी मिलेगी। आदित्य एल-1 का जीवनकाल पांच वर्ष होगा।
15 लाख किलोमीटर का तय करेगा सफर
यह इतने वर्षों तक सूर्य का चक्कर लगाता रहेगा। सौर तूफान, सौर कोरोना और अन्य घटनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करेगा। चंद्रयान-3 की तरह, आदित्य पृथ्वी की परिक्रमा करने वाला पहला मिशन होगा। कुछ राउंड करने के बाद 15 लाख किलोमीटर का सफर तय कर यह एल-1 प्वाइंट पर पहुंचेगा। इस बिंदु की परिक्रमा करते हुए आदित्य-एल1 सूर्य की बाहरी परत के बारे में जानकारी प्रदान करेगा।
NASA के मुकाबले 97 पतिशत सस्ता है आदिल्य एल1
इसरो ने अपने हर मिशन में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। दूसरे देशों की तुलना में भारत ने कम बजट में सोलर मिशन की योजना बनाई है। आदित्य मिशन की लागत 400 करोड़ रुपये है। नासा ने सूर्य मिशन पर 12,300 करोड़ रुपये खर्च किये थे। अब इसरो दुनिया में फिर से नया रिकॉर्ड बनाने जा रहा है। खास बात तो ये है 23 अगस्त को चांद पर जिस चंद्रयान की सॉफ्ट लैंडिंग हुई थी, उसका बजट मात्र 615 करोड़ रुपये था। कई देशों ने कम लागत पर सफलतापूर्वक अभियान चलाने की भारत की क्षमता की सराहना की है। दुनिया के कई देश ऐसा ही महसूस करते हैं। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद दुनिया के कई देश इसरो के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं।
