बूथ स्तर तक पहुंचाई सहायता
राठौड़ ने वर्चुअल प्रेस कॉन्र्फेंस में कहा कि भाजपा के कार्यकर्ताओं ने कोरोना संकट के समय बूथ स्तर तक आमजन तक सहायता पहुंचा रहे हैं वहीं दूसरी ओर सत्तासीन कांग्रेस जिसने प्रदेश, जिला व ब्लॉक किसी भी स्तर पर सामाजिक सरोकार का कोई कार्य नहीं किया गया।
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); अपनी नाकामी का ठीकरा केन्द्र पर फोडऩे की कोशिश
दुर्भाग्य है कि सरकार का कार्यकाल का आधा सफर पूरा हो चुका है, हालात ऐसे उपज गए कि मंत्री मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की उपस्थिति में ही आपस में लड़ रहे हैं। अब तो लगता है कि मुख्यमंत्री को बैठकों के दौरान भी अलग से पुलिस प्रशासन की तैनाती करके रखनी पड़ेगी। कांग्रेस सरकार के मंत्री बयानवीर बनकर कोरोना कुप्रबंधन का सारा ठीकरा केन्द्र सरकार पर फोड़ रहे हैं। यह सरकार नाम की सरकार है, काम की नहीं।
बजट की घोषणाएं नहीं बढ़ी आगे
राठौड़ ने कहा कि मौजूदा सरकार ने अपनी बजटीय घोषणाओं को एक कदम भी आगे नहीं बढाया है। इससे बड़ी शर्मनाक बात क्या होगी कि बीकानेर से आने वाले जलदाय मंत्री बीडी कल्ला अपने गृह जिले में भी पेयजल समस्याओं का निस्तारण नहीं कर पा रहे हैं तथा शहर में पानी बिक रहा है। महज आधे घंटे पेजयल आपूर्ति हो रही है और कई घंटों तक बिजली कटौती होने से जनता को पानी नहीं मिल पा रहा है। नहरबंदी के बाद तो हालात बदतर हो गए हैं। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बीकानेर के सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल में गंदगी, वेंटिलेटरों को चलाने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षित स्टाफ का अभाव, डॉक्टरों की अनुपस्थिति से आमजन त्रस्त रहे। वहीं मरीजों की बढ़ती संख्या के बावजूद भी बीकानेर में 500 बैड का अस्पताल प्रारंभ नहीं करना और केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल जी के प्रयासों में राजनीतिक अड़चने पैदा करने जैसे प्रयास किये जाना सरकार की सोची-समझी साजिश ही है।
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); प्रदेश में अपराधियों के हौसले बुलंद
राठौड़ ने कहा कि बीकानेर संभाग में जर्जर कानून व्यवस्था होने के कारण आमजन दहशत के साये में जीने को मजबूर है और अपराधियों के हौसले बुलंद है। अपराधी जेल से छूटकर फायरिंग कर भय फैला रहे हैं, जेलों में गैंगवार हो रही है और व्यापारियों को डरा धमकाकर रंगदारी मांगी जा रही है। सख्त लॉकडाउन के बावजूद पुलिस प्रशासन के सख्त पहरे में मोटरसाइकिल की चोरियां पुलिस की मुस्तैदी पर प्रश्न चिन्ह लगा रही है। महिला दुष्कर्म, दलित अत्याचार और साइबर क्राइम में राजस्थान देश में पहले व दूसरे स्थान पर है।
सरकार ने दस प्रतिशत वैट में बढ़ोतरी की
राठौड़ ने कहा कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर केंद्र सरकार की तरफ उंगली उठाने वाले कांग्रेस नेताओं को यह नहीं भूलना चाहिए कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के शासन की तुलना में वर्तमान कांग्रेस सरकार के शासन में पेट्रोल-डीजल पर वैट में रिकॉर्ड 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई और आज राजस्थान में पेट्रोल पर 36 और डीजल पर 26 प्रतिशत वैट व 1 रुपये 75 पैसे रोड सैस को वैट के दायरे में लाकर आमजन पर महंगाई का बोझ डाला जा रहा है। सर्वाधिक वैट वसूलने में राजस्थान देश में दूसरे पायदान पर है।
रैपिड एंटीजन टेस्ट किट खरीद संदेह के घेरे में
राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कोरोना काल में अलग-अलग ऊंचे दामों पर लाखों रैपिड एंटिजन टेस्ट किटों की खरीदी से क्रयादेशों की पूरी प्रक्रिया पर सवालिया निशान खड़ा हो रहा है। सिर्फ मई माह में ही कम से कम 9 बार अलग-अलग कंपनियों से अलग-अलग दामों पर 13 करोड़ 32 लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर 14 लाख 30 हजार रैपिड एंटिजन टेस्ट किट की खरीदी की गई है जो संदेह के घेरे में है।
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); राजस्थान में हो रही टीकों की बर्बादी
राठौड़ ने कहा कि केन्द्र सरकार एक-एक डोज को बहुमूल्य बताते हुए इसकी बर्बादी नहीं करने के बारे में राज्यों को जागरूक कर रही है वहीं राजस्थान में टीकों की बर्बादी का आलम यह है कि 2500 से ज्यादा वैक्सीन की डोज कचरे में मिली और अधिकांश डोजों को जमीन में गाड़ दिया गया। राज्य में पहली बार है जब केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के पत्र के बाद 4 जून को राज्यपाल ने भी राज्य सरकार द्वारा की जा रही वैक्सीन की बर्बादी को रोकने को लेकर उच्चस्तरीय जांच के लिए पत्र लिखना पड़ा है।
कोरोना से मौत के मामले में सरकार संवेदनहीन
राठौड़ ने कहा कि कोविड से होने वाली मृत्यु के मामले में भी राज्य सरकार का रवैया संवेदनहीन रहा है। राज्य सरकार कोविड मौतों की ऑडिट करवाने की बात तो कह रही है लेकिन हकीकत में कोविड अस्पताल में हुई 52 प्रतिशत मौतों को सरकार कोरोना डेथ नहीं मान रही है। जिस वजह से जिन परिवारों ने इस महामारी में स्वजनों को खोया है। वह सरकारी सहायता से वंचित रहने को मजबूर है। वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में 1 मई से 18 वर्ष से 45 वर्ष तक की आयु के युवाओं के लिए नि:शुल्क वैक्सीनेशन के लिए ग्लोबल टेंडर के जरिए वैक्सीन लाने की बड़ी-बड़ी बातें की लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात रहा। फिर ग्लोबल टेंडर के फेल होने के बाद वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए केन्द्र सरकार पर सारी जिम्मेदारी डाल दी।
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