नई दिल्ली. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने हाई कोर्ट को सूचित किया है कि एंफोटेरिसिन-बी के अलावा फंगस के इलाज का फार्मूला उपलब्ध हैं। जिनसे इस बीमारी का प्रभाव कम किया जा सकता है। फंगस के इलाज की दवा एंफोटेरिसिन-बी की कमी को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत ङ्क्षसह की पीठ ने आइसीएमआर के निर्देश पर संतुष्टी जताई कि आइसीएमआर की तरफ से पेश हुए केंद्र के स्थायी अधिवक्ता अनुराग अहलुवालिया ने बताया कि फंगस से पीडि़त युवा मरीजों के इलाज के लिए लिपोसोमल एंफोटेरिसिन-बी का प्राथमिकता से इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है। सुनवाई में शामिल एक विज्ञानी ने बताया कि इसकी हर दो सप्ताह में समीक्षा की जाएगी।
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); अधिवक्ता ने कहा दवा की कमी नहीं, कोर्ट ने पूछा फिर मौत क्यों?
केंद्र सरकार के अधिवक्ता कीर्तिमान सिंह ने कहा कि दवा की कोई कमी नहीं है तो पीठ ने पूछा कि फिर इतनी मौतें क्यों हो रही हैं? इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि मौतें दवा की कमी के बजाय फंगस की बीमारी की तीव्रता से हुई हैं। फंगस से प्रभावित करीब एक तिहाई लोगों की मौत हुई है और ये दवा की कमी के कारण नहीं है, अगर ऐसा होता तो यहां और ज्यादा शोर होता।
