
जयपुर. उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के शासन सचिव भवानी सिंह देथा ने कहा कि ज्ञानदूत कार्यक्रम कोविड की विषम परिस्थतियों के बीच विद्यार्थियो को क्वालिटी ई-कंटेंट उपलब्ध कराने में सफल प्रयास साबित हुआ है। श्री देथा इसरो के विकास एवं शैक्षिक संचार यूनिट (डीईसीयू), अहमदाबाद के सहयोग से आयोजित चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में कॉलेज शिक्षा के संकाय सदस्यों को संबोधित कर रहे थे।
शासन सचिव भवानी सिंह देथा ने कहा कि कोविड की विषम परिस्थतियों में राजस्थान के हिंदी भाषी विद्यार्थियों के लिए क्वालिटी ई-कंटेंट ऑनलाइन उपलब्ध करवाने के लिए आरंभ किया गया ज्ञानदूत कार्यक्रम बहुत ही अच्छा प्रयास रहा है। इसके माध्यम से विभाग अच्छी गुणवत्ता का विषयवार ई-कंटेंट हिंदी भाषा में उपलब्ध करवाने का प्रयास कर रहा है। यह ई-कंटेंट सभी राजकीय एवं निजी महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों के नियमित एवं स्वयंपाठी विद्यार्थियों के लिए नि:शुल्क उपलब्ध हो सकेंगे। इस कार्यक्रम के माध्यम से राजकीय महाविद्यालयों में पढ़ाये जाने वाले राजकीय विश्वविद्यालयों के सभी विषयों के टॉपिक्स को कवर करते हुए इन व्याख्यानों को सूचिबद्ध एवं क्रमबद्ध करके ज्ञानदूत यूट्यूब चैनल के माध्यम से उपलब्ध करवाया जा रहा है ताकि विद्यार्थी इन्हें आसानी से पढ़ सकें।
डीईसीयू के निदेशक राजेश खंडेलवाल ने कहा कि दूर शिक्षा, मल्टीमीडिया कार्यक्रम निर्माण एवं प्रशिक्षण, शैक्षिक एवं विकासात्मक वीडियो कार्यक्रम तैयार करना डीईसीयू के कार्य हैं।
कॉलेज शिक्षा की आयुक्त श्रीमती शुचि त्यागी ने कहा कि विभाग की ओर से ज्ञानकौशल एवं गुणवत्ता संवद्र्धन प्रशिक्षण कार्यक्रम करवाए जा रहे है, जिसमें पहला दो दिवसीय प्रशिक्षण 24 एवं 25 जनवरी को आयुक्तालय स्तर पर आयोजित करवाया गया। इसी की निरंतता में डीईसीयू के सहयोग से यह चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम कॉलेज शिक्षा के संकाय सदस्यों के लिए आयोजित करवाया गया है।
उन्होंने बताया कि अभी तक ज्ञानदूत 2.0 में संचालित 14 विषयों के लगभग 330 वीडियोज अपलोड किए जा चुके हैं। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में आयोजित 13 तकनीकी सत्रों के माध्यम से वीडियो ई-कंटेंट डेवलपमेंट, रिसर्च स्क्रिप्ट राइटिंग, मल्टीमीडिया प्रोग्राम, टेक्निकल क्नो-हाउ आदि के बारे में जानकारी दी गयी। ग्रुप एक्टिविटीज़ के माध्यम से यह कार्यक्रम बहुत ही रोचक रहा। विषयवार आयोजित समूह गतिविधियों में प्रतिभागियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
कार्यक्रम में 25 जिलों के 101 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंतिम दिन प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए जिसमें उन्होंने इस कार्यक्रम की उपादेयता एवं आवश्यकता पर प्रकाश डाला एवं भविष्य में भी इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन का सुझाव दिया।
