
जयपुर. अपने देश या मूल स्थान को छोड़ दूसरे देश को जाने वाला हर व्यक्ति अपने पहचान, अपने अस्तित्व की तलाश में लगा रहता है। अपनी जड़ों से अलगाव और नई जगह पर लोगों की स्वीकार्यता का भय सिर्फ वही समझ सकता है जिसने कभी पलायन या निर्वासन का दंश झेला हो। यह कहना था हैती मूल के ‘द मेडिटरेनियन वॉल पुस्तक के फ्रसीसी लेखक श्री लुई फिलिप डेलम्बर्ट का। मौका था आईएएस एसोसिएशन द्वारा आयोजित कन्वर्सेशन विथ राइटर का। संवाद कार्यक्रम को मॉडरेट किया था विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की शासन सचिव एवं आईएएस एसोसिएशन की साहित्य सचिव श्रीमती मुग्धा सिन्हा ने।
मुग्धा सिन्हा ने गुरूवार को जवाहर कला केंद्र के लाइब्रेरी भवन में आयोजित इस संवाद कार्यक्रम में घर और विश्व: पलायन, पहचान और निर्वासन विषय पर लेखक लुई फिलिप डेलम्बर्ट के साथ विस्तार से चर्चा की। श्रीमती सिन्हा द्वारा पूछे गए प्रश्नों के जवाब पर लेखक ने अपनी पुस्तक में तीन महाद्वीपों की तीन महिला किरदारों के इर्द-गिर्द बुने ताने-बाने के माध्यम से बताया कि विभिन्न राजनीतिक परिस्थितियों,युद्ध, बेरोजगारी, नए अवसर और भविष्य निर्माण की चाह में लोग अपने वर्तमान को दांव पर लगा देते हैं लेकिन अपनी पहचान की लड़ाई ताउम्र चलती रहती है।
सिन्हा के एक प्रश्न के जवाब में लेखक ने बताया कि अपने पूरे जीवन काल में वे स्वयं भी हैती, फ्रांस, इटली जैसी जगहों पर पलायन करते रहे कई संस्कृतियों को अपनाया लेकिन इन सब में कहीं ना कहीं यह भुला बैठे कि मैं कौन हूं, मेरी पहचान क्या है। उन्होंने कहा कि चाहे जो भी हो हम पहले मानव हैं और मानवता का स्थान समाज, धर्म, राष्ट्र सबसे ऊपर है। रुचिपूर्ण संवाद कार्यक्रम के अंत में दर्शकों ने भी लेखक से ढेरों सवाल पूछे। कार्यक्रम के अंत में श्रीमती मुग्धा सिन्हा ने लेखक कार्यक्रम के आयोजकों,आईएएस एसोसिएशन के सदस्यों, दर्शकों एवं सहयोगी संस्थाओं का आभार जताय।