
लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा के बाद सबसे बड़े दल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बड़ा सियासी दाव खेला है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर इटावा के जसवंतनगर से विधायक निर्वाचित प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव को नेता प्रतिपक्ष बनाया है। अखिलेश ने ऐसा करके नई परंपरा को जन्म दिया है। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव को उत्तर प्रदेश विधानसभा में समाजवादी पार्टी विधायक दल का नेता घोषित किया है। पहले यह पद राम गोविंद चौधरी के पास था, लेकिन बलिया के बांसडीह से चुनाव हारने के बाद वह इस दौड़ से बाहर हो गए हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 21 मार्च को लखनऊ में पार्टी के सभी निर्वाचित विधायकों की बैठक भी बुलाई है।
अखिलेश यादव ने अपने इस कदम से यह संकेत भी दे दिया है कि वह मैनपुरी के करहल से चुनाव जीतने के बाद अब विधानसभा सदस्य के पद से इस्तीफा दे देंगे। वह आजमगढ़ से समाजवादी पार्टी से सांसद हैं। जहां से सपा को बड़ी सफलता मिली है। पूर्वांचल में समाजवादी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया है। इसके साथ ही अखिलेश यादव का फोकस 2024 के लोकसभा चुनाव पर भी है। माना जा रहा है कि सीतापुर की जेल मे बंद समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां भी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे। आजम खां रामपुर से सांसद हैं।
संगठनात्मक खामियां हार का कारण बनी: शिवपाल यादव
समाजवादी पार्टी गठबंधन की हार पर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रमुख शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि इस बार की हार में संगठनात्मक तौर पर खामियां बड़ा कारण बनी हैं। जनता के प्रति हमारा स्नेह है, संगठन को लेकर खामियां रह जाती हैं। जो खामियां रह गईं हैं उन्हें दूर करने की पूरी कोशिश की जाएगी। प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव ने कहा कि जमीनीं स्तर पर सपा के पक्ष में अच्छा माहौल था। हालांकि कहीं न कहीं कुछ खामियां जरूर रह गई हैं जिसे दूर करने की कोशिश की जाएगी।