
जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिला कलक्टरों एवं जलदाय विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे कन्टींजेन्सी प्लान की पूरी संवेदनशीलता के साथ प्रभावी क्रियान्विति करते हुए गर्मियों में पेयजल की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करें। उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैं कि इंदिरा गांधी नहर परियोजना क्षेत्र में 21 मार्च से दो माह की प्रस्तावित नहरबंदी को देखते हुए परियोजना क्षेत्र से जुड़े जिलों में पेयजल का अग्रिम प्रबंधन करें ताकि नहरबंदी अवधि में अंतिम छोर तक लोगों को पेयजल उपलब्धता की कोई समस्या न आए।
गहलोत सोमवार शाम को मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से नहरबंदी एवं गर्मियों में पेयजल आपूर्ति की तैयारियों को लेकर उच्च स्तरीय बैठक में समीक्षा कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते वर्ष में भी राज्य सरकार के सतत प्रयासों से इंदिरा गांधी नहरी तंत्र की रिलाइनिंग का ऐतिहासिक काम किया था। उस समय भी करीब 2 माह की नहरबंदी के बावजूद अधिकारियों ने पूरी मुस्तैदी से काम कर आमजन को कोई तकलीफ नहीं आने दी और परियोजना क्षेत्र से जुड़े सभी दस जिलों में सुचारू जलापूर्ति सुनिश्चित की। अधिकारी आगे भी इसी सोच एवं पूरी संवेदनशीलता के साथ कार्य योजना बनाकर आगे बढें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पेयजल एक संवेदनशील विषय है। ऐसे में यह सुनिश्चित किया जाए कि नहरबंदी के दौरान पेयजल उपलब्धता को लेकर आमजन को कोई परेशानी न हो। नहरबंदी से पूर्व समस्त जल भंडारण स्रोत पूर्ण क्षमता तक भर लिए जाएं ताकि अंतिम छोर तक पेयजल उपलब्ध करवाया जा सके। पानी की चोरी रोकने के लिए पेट्रोलिंग की प्रभावी व्यवस्था हो तथा सभी संबंधित विभाग इस दौरान पूर्ण समन्वय के साथ कार्य करें।
गहलोत ने कलक्टरों को निर्देश दिए कि वे जिलों में पेयजल की अतिरिक्त आवश्यकता का आकलन करते हुए आकस्मिक व्यवस्थाएं अमल में लाएं। पेयजल आपूर्ति की नियमित मॉनिटरिंग करें। जहां भी आवश्यकता हो टैंकरों से जल आपूर्ति, नए हैंडपम्प एवं ट्यूबवैल स्थापित करने तथा निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित कराएं। पेयजल संबंधी उपभोक्ताओं की समस्याओं के समाधान के लिए जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाएंं।
मुख्यमंत्री ने इस दौरान बीकानेर एवं जोधपुर संभागों के संभागीय आयुक्तों, जिला कलक्टरों तथा जलदाय विभाग के अभियंताओं से पेयजल आपूर्ति व्यवस्था के बारे में जानकारी ली। उन्होंने कहा कि पाली एवं रोहट की पेयजल समस्या के स्थायी समाधान की योजना तैयार की जाए।
बैठक में बताया कि इंदिरा गांधी फीडर में रि-लाइनिंग के कारण 21 मार्च से 19 मई तक क्लोजर प्रस्तावित है। जिसमें 21 मार्च से 19 अप्रैल तक 30 दिन आंशिक नहरबंदी तथा 19 अप्रैल से 19 मई तक 30 दिन पूर्ण नहरबंदी संभावित है। इससे बीकानेर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चूरू, नागौर, जोधपुर, जैसलमेर एवं बाड़मेर जिले पूर्णत: तथा सीकर एवं झुंझुनूं जिले आंशिक रूप से प्रभावित रहेंगे। इस अवधि में पेयजल की उपलब्धता के लिए विभाग ने डिग्गियों, टैंक आदि जल स्रोतों में पानी का स्टोरेज कर पेयजल आपूर्ति बनाए रखने की योजना तैयार की है। कहीं भी लोगों को समस्या नहीं आने दी जाएगी।
गर्मी को देखते हुए सभी जिला कलेक्टरों को कंटीजेन्सी कार्यों के लिए 50-50 लाख रूपए उपलब्ध करा दिए गए हैं, ताकि आकस्मिक आवश्यकताओं को देखते हुए हैंण्डपंप मरम्मत, टैंकरों से जल आपूर्ति, नए नलकूप खोदने आदि कार्य तत्काल किए जा सकें। यह राशि खर्च होने पर आवश्यकतानुसार और भी अधिक राशि दी जा सकेगी।
यह भी बताया कि पाली शहर में जवाई बांध से 96 घंटे के अंतराल में एक बार जल आपूर्ति की जा रही है। रेल के माध्यम से आगामी 15 अप्रैल से जल परिवहन कर वहां पेयजल पहुंचाया जाना है। इसके लिए निशुल्क जल परिवहन की अनुमति के लिए केन्द्रीय रेल मंत्री से आग्रह किया गया है। पानी की कमी को देखते हुए पाली जिले के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में करीब 57 करोड़ रूपए की लागत से 219 योजनाएं स्वीकृत की गई हैं।
मुख्य सचिव श्रीमती ऊषा शर्मा ने कहा कि सभी संबंधित विभाग मिलकर नहरबंदी अवधि तथा ग्रीष्मकाल में आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें। जलदाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री सुधांश पंत ने पेयजल प्रबंधन की तैयारियों के बारे में बताया कि वर्तमान में प्रदेश के 13 शहरों तथा 4 जिलों जैसलमेर, पाली, सिरोही एवं राजसमंद के 229 गांवों एवं ढाणियों में पेयजल परिवहन किया जा रहा है। इस वर्ष विभाग द्वारा 3275 हैंडपम्प एवं 1804 ट्यूबवैल लगाए गए हैं। आवश्यकतानुसार और भी हैंडपम्प एवं ट्यूबवैल स्वीकृत किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि नहरबंदी से प्रभावित जिलों के 49 शहरों तथा 7500 गांवों में जल आपूर्ति के माकूल प्रबंध किए जा रहे हैं।
बैठक में जल संसाधन तथा इंदिरा गांधी नहर परियोजना मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीय, जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी मंत्री महेश जोशी, आपदा प्रबंधन एवं राहत मंत्री गोविंद राम मेघवाल, ऊर्जा राज्यमंत्री श्री भंवर सिंह भाटी, जलदाय राज्यमंत्री अर्जुन सिंह बामनिया, आपदा प्रबंधन एवं सहायता विभाग के प्रमुख सचिव आनंद कुमार, जल संसाधन विभाग के शासन सचिव डॉ. पृथ्वीराज सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। संभागीय आयुक्त, जिला कलक्टर तथा जलदाय एवं जल संसाधन विभाग के अभियंता वीसी के माध्यम से जुड़े।
