(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); दोनों जगह कांग्रेस के लिए चुनौती
गहलोत सरकार को एक बार फिर उपचुनाव का सामना करना पड़ेगा। बार दोनों सीटें उदयपुर संभाग की हैं। इन दोनों ही स्थानों पर कांग्रेस की स्थिति मजबूत नहीं मानी जाती है क्योंकि ये संभाग भाजपा का गढ़ रहा है। ऐसे में कांग्रेस के लिए ये दोनों सीटें जीतना किसी चुनौती से कम नहीं है। वहीं भाजपा के लिए भी इन स्थानों पर राह आसान नहीं होगी।
दोनों दल सहानुभूति का कार्ड खेलेंगी, यही बड़ा सहारा
आपको बता दें कि हाल ही हुए तीन उपचुनावों में तीनों जगह दिवंगत विधायकों के परिवारों से ही टिकट दिए थे। कांग्रेस ने सहाड़ा, सुजानगढ और भाजपा ने राजसमंद से दिवंगत विधायक के परिवार से टिकट दिया। तीनों ही जगह सहानुभूति कार्ड चला और दिवंगत विधायकों के परिजन जीतने में कामयाब रहे। यही फार्मूला अब धरियावद और वल्लभनगर में भी अपनाया जा सकता है। कांग्रेस वल्लभनगर में दिवंगत विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत के परिवार से और धरियावद में भाजपा गौतमलाल मीणा के परिवार से टिकट देकर सहानुभूतिकार्ड चल सकती है।
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); छह माह में कोरोना से चौथे विधायक का निधन
प्रदेश में छह माह में 4 विधायकों का कोरोना से निधन हो चुका है। गौतमलाल मीणा के अलावा राजसमंद से भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी, सहाड़ा से कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी, वल्लभनगर से कांग्रेस विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत का कोरोना से निधन हुआ था। सुजानगढ से विधायक और गहलोत सरकार में सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री मास्टर भंवरलाल का ब्रेन हेमरेज से निधन हुआ था।
200 विधायक पूरे नहीं होने का संयोग अब भी बरकरार
राजस्थान में वर्षों से एक मिथक चल रहा है कि नए भवन में विधानसभा शिफ्ट होने के बाद 200 विधायक कभी साथ नहीं बैठे। किसी न किसी कारण से संख्या पूरी नहीं हो सकी। अब विधायक गौतमलाल मीणा के निधन के बाद वह मिथक फिर याद आ रहा है। वर्तमान में विधानसभा में 198 विधायक हैं।
