जयपुर. अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया है कि दूरदराज के गांवों तक स्वरोजगार, उत्पादकता और आय बढ़ाने के लिए नवी व नवीकरणीय अक्षय ऊर्जा साधनों के उपयोग को बढावा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए केन्द्र सरकार के नवी व नवीकरणीय मंत्रालय द्वारा विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा आजीविका एपलिकेशन के माध्यम से विभिन्न विभागों से जुड़ी उत्पादकता परक अनुदानित योजनाओं को जोड़ा जा रहा है। एसीएस एनर्जी डॉ. सुबोध अग्रवाल बुधवार को अक्षय ऊर्जा निगम में विभागीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक ले रहे थे। बैठक में अधिकारियों को अवेयर करने के लिए डीआरईएल की प्रजेंटेषन के माध्यम से विस्तार से जानकारी दी गई। आत्म निर्भर भारत कार्यक्रम के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने में इस कार्यक्रम का खास योगदान होगा। इसके लिए एमएनआरई द्वारा पोर्टल तैयार किया जा रहा है जिसमें संबंधित विस्तृत जानकारी के साथ ही अन्य आवष्यक जानकारी उपलब्ध होगी। राज्यों में राज्य स्तर पर एक नोडल विभाग बनाया जाएगा जो कार्यक्रम के क्रियान्वयन और समन्वय का कार्य करेगा।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत एक और जहां ग्रीन एनर्जी यानी कि सोलर, विण्ड, बायोमास एनर्जी के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा वहीं छोटे-छोटे रोजगार के साधन अपनाने वालों, लघु एवं मध्यम श्रेणी के उद्यमियों, काश्तकारों, ग्रामीण उद्योगों आदि की रोजगारपरक गतिविधियां बिजली कटौती से प्रभावित नहीं होंगी वहीं स्वयं के स्तर पर ही विद्युत उपलब्धता सुनिष्चित हो सकेगी। साथ ही इन उपकरणों के लिए संबंधित विभाग की अनुदान योजनाओं का लाभ भी मिल सकेगा। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा आजीविका कार्यक्रम में दस से अधिक विभागों कृषि एवं किसाल कल्याण, ग्रामीण विकास, मत्स्य, पशुपालन, और डेयरी, एमएसएमई, ट्राइबल अफेयर्स, स्किल डवलपमेंट व उद्यमिता, टैक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग उद्योग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण व साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी मंत्रालयों से संबंधित कार्यक्रमों का समावेश है। विभिन्न विभागों की अनुदान योजनाओं को इससे जोड़ा गया है व जोड़ा जा रहा है जिससे अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के साथ ही रोजगार, उत्पादकता, लागत में कमी और आय में बढ़ोतरी हो सके।
एसीएस एनर्जी डॉ. अग्रवाल ने बताया कि अक्षय ऊर्जा संचालित कोल्ड स्टोरेज, रुम्स व रेफ्रीरेशन में सोलर कोल्ड स्टोरेज, बल्क मिल्क चिलर्स, सोलर रेफ्रीजेटर्स, डीप फ्रीजर्स, कोल्ड रुम्स, सोलर टनल डायर, सोलर केबिनेट डायर्स आदि शामिल है। इसी तरह से राइस मिलिंग एवं प्रोसेसिंग में मिनि राइस मिल, राइस हुलेर, राइस पालिसर्स, मोटे अनाज व दलहन क्षेत्र में मिनि मिल्स, पोलिसर्स, ग्रेडर एण्ड सोर्टर्स, बागवानी प्रोसेसिंग इकाइयों में मल्टी परपज फूड प्रोसेसर्स, थ्री रोलर मिनि सुगरकेन क्रशर, वर्टिकल फार्मिंग सिस्टम, सिंचाई में सोलर सबमर्शीवल पंप, सोलर सरफेस पंप, सीड एवं हारवेस्ट ड्रायर, सिल्क टैक्सटाइल में सिल्क रीलिंग, सिल्क रीलिंग चरखा, सिल्क वीविंग लूम्स, कॉटर टैक्सटाइल्स में सोलर हाईब्रीड चरखा, सोलर लूम्स, सोलर सिलाई मषीन, मत्स्य एवं मत्स्य पालन में वोट में फ्रीजर, मार्केट यार्ड, नाव में एयर टू वाटर जेनरेटर, आइस प्लांट, प्रोसेसिंग प्लांट्स ड्रायर्स आदि में सोलर, विण्ड या बायोमास आधारित अक्षय ऊर्जा व अक्षय ऊर्जा संचालित उपकरणों के उपयोग से उत्पादकता और आय में बढ़ोतरी हो सकेगी।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि मोटे रुप से न्यू एवं नवीकरणीय मंत्रालय की किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा एवं उत्थान महाभियान (कुसुम) योजना, टैक्सटाइल मंत्रालय की सोलर एनर्जी स्कीम फार पॉवरलूम्स, खादी एवं ग्रामोद्योग कमीशन की सोलर चरखा मिशन आदि कार्यक्रम है जिससे निर्बाध उत्पादकता, ग्रीन एनर्जी, आत्म निर्भर कार्यक्रम से अधिक से अधिक लोगों को जोड़कर रोजगार व स्वरोजगार और आय में वृद्धि हो सकेगी। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा इसका संचालन राज्यों के संबंधित विभागों से समन्वय के साथ किया जाएगा। बैठक में महाप्रबंधक अक्षय ऊर्जा सुनित माथुर, निदेशक वित्त ललित वर्मा, ओएसडी नवीन शर्मा, सीएस गजल, पंकज तंवर व अन्य अधिकारियों ने हिस्सा लिया। एनके गुप्ता एवं विवेक शर्मा ने प्रजेंटेशन के माध्यम से विस्तार से योजना की जानकारी दी।
