इंदौर. गुजरात की फैक्ट्री में तैयार किया गए नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन से इंदौर में अब तक 8 गंभीर संक्रमित मरीजों की मौत हो चुकी है। आपदा में अवसर की तलाश में जुटे ऐसे लोगों पर पुलिस ने शिकंजा कसा है। पुलिस गिरफ्त में आए आरोपियों ने बताया कि 24 से 26 अप्रैल के बीच 48 घंटे में ही 700 नकली इंजेक्शन बिक गए थे। इस अवधि में इसकी डिमांड ज्यादा थी। आपको बता दें कि एक व्यक्ति को सबसे महंगा इंजेक्शन एक लाख 8 हजार में बेचा गया था। इस मसले में पुलिस ने गिरोह में सरवर खान को पकड़ा है, जिसने महाराष्ट्र से डॉक्टर की नकली डिग्री प्राप्त की थी। वह इंदौर के समीप सांवेर में 25 सालों से फर्जी डॉक्टरी का काम कर रहा था। कोरोना संक्रमण के चलते नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए इंदौर के वह कई दलालों से संपर्क किया करता था।
इस संबंध में विजयनगर थाना प्रभारी तहजीब काजी ने बताया कि सांवेर के सरवर खान ने नकली इंजेक्शन की खेप इंदौर के गोविंद से ली थी। गोविंद से आशीष ठाकुर ने भी इंजेक्शन लिए थे और यह नकली इंजेक्शन सांवेर पहुंचे थे।
सरवर खान से गुलरेज ने 27 इंजेक्शन लिए थे और 11 इंजेक्शन फिरोज ने लिए थे। इस इंजेक्शन से गुलरेज के परिवार में 3 लोगों की मौत हुई है, जबकि फिरोज ने घर में एक मौत होना बताया गया है। इंजेक्शन से मौत के बाद गुलरेज और फिरोज ने बचे इंजेक्शन सरवर को वापस किए थे। सरवर ने यही 10 इंजेक्शन वसीम और अरशद हाजी को दे दिए थे। कुछ दिन पहले इंदौर क्राइम ब्रांच को बायपास पर वसीम और अरशद को दो इंजेक्शन बेचते पकड़ा था। गुलरेज और फिरोज को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। वहीं आशीष ठाकुर ने सरवर से खरीदे 50 इंजेक्शन में से 20 मेडिकल व्यवसायी गौरव केसवानी, गोविंद गुप्ता को 20 और 10 इंजेक्शन बड़वाह में किसी व्यक्ति दिए थे।
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); इंदौर के बिचौलिए पुलिस गिरफ्त में
पुलिस के अनुसार इस पूरे गिरोह में इंदौर के जितने बिचौलिए हैं, उनको पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। अब विजयनगर पुलिस कुलदीप के इंतजार में है। वह गुजरात पुलिस के कब्जे में है। आरोपियों ने बताया कि खरगोन के रितेश राणे नामक एक युवक को उन्होंने 50 हजार में 4 इंजेक्शन भेजे थे। रितेश के परिवार में भी एक व्यक्ति की मौत हुई है।
इस तरह गुजरात से जुड़े हैं तार
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्होंने कई लोगों को 35 से 40 हजार रुपए में इंजेक्शन बेचे थे। सबसे महंगा इंजेक्शन खातेगांव निवासी क्रीट अग्रवाल को एक इंजेक्शन 1 लाख 8 हजार में बेचा था। इंजेक्शन धीरज और दिनेश को प्रवीण और असीम भाले उपलब्ध करवा रहे थे। असीम भाले को इंजेक्शन सुनील मिश्रा उपलब्ध करवा रहा था। रीवा निवासी सुनील मिश्रा गुजरात के मोरबी स्थित इंजेक्शन की नकली फैक्ट्री से कुलदीप सांवरिया के जरिए माल लाकर इन्हें देता था। गुजरात पुलिस ने सुनील मिश्रा को हिरासत में ले लिया था । विजय नगर पुलिस ने अब तक 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है । इसके अलावा लसुडिय़ा ने दो एफआईआर में 5 आरोपियों को पकड़ा था । कनाडिय़ा पुलिस ने भी ऐसे मामले पकड़े थे। सभी आरोपियों पर रासुका के तहत कार्रवाई की जाएगी।
सोशल मीडिया पर तलाशते थे जरूरतमंदों को
आईजी हरिनारायण चारी मिश्रा के अनुसार अभी दो तरह के मामले सामने आए हैं। एक जो गुजरात से नकली इंजेक्शन लाकर यहां बेच रहे थे। दूसरा, मरीजों की मौत होने पर उनके इंजेक्शन बचा लिए और उसे ब्लैक में बेच दिया। गिरोह का मुख्य सरगना कौशल वोरा और कुलदीप सांवलिया है। दोनों अभी सूरत पुलिस की हिरासत में है। पुलिस ने बताया कि कुलदीप की मां की भी कोरोना से मौत हुई थी।
नकली इंजेक्शन से मौत के यहां मामले आए सामने
गुलाबबाग इंदौर -1
राऊ- 1
खजराना इलाका- 1,
खरगोद 1
सांवेर -4 मौत (गुलरेज के परिवार 3 और फिरोज के परिवार में 1 )
