प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आज छात्रों से परीक्षा पे चर्चा करेंगे। इस दौरान वे छात्रों, उनके अभिभावकों व शिक्षकों से सीधा संवाद स्थापित करेंगे। परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य तनाव मुक्त परीक्षा के लिए वातावरण को तैयार करना है। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस बाबत ट्वीट कर खुद परीक्षा को त्योहार के रूप में मनाने की बात कही थी। लेकिन क्या आपको पता है कि परीक्षा व उसमें पास या फेल होने का वातावरण इतना तनावपूर्ण होता है कि कई बच्चे हर साल आत्महत्या करते हैं। हर साल पढ़ाई व परीक्षा के तनाव में हजारों बच्चे आत्महत्या करते हैं। एनसीआरबी के डेटा के मुताबिक परीक्षा में फेल होने के कारण साल 2014 से साल 2020 के बीच कुल 12,582 छात्रों ने आत्महत्याएं की हैं।
हर साल होने वाली आत्महत्याओं के आंकड़े
साल 2014- 2403 छात्रों ने की आत्महत्या
साल 2015- 2606 छात्रों ने की आत्महत्या
साल 2016- 2408 छात्रों ने की आत्महत्या
साल 2017- 2540 छात्रों ने की आत्महत्या
साल 2018- 2625 छात्रों ने की आत्महत्या
साल 2019- 2744 छात्रों ने की आत्महत्या
साल 2020- 2080 छात्रों ने की आत्महत्या
इन राज्यों में सबसे ज्यादा सुसाईड के मामले (साल 2020 के आंकड़े)
परीक्षा में फेल होने या परीक्षा की टेंशन के कारण हजारों छात्र हर साल अपनी जान दे देते हैं। इस बीच एनसीआरबी द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 5 राज्यों में 60 प्रतिशत से ज्यादा आत्महत्याएं होती हैं। झारखंड राज्य में साल 2020 में 325 छात्रों ने आत्महत्या की है।
पहला स्थान- झारखंड- 325 अत्महत्याएं
दूसरा स्थान- महाराष्ट्र- 287 अत्महत्याएं
तीसरा स्थान- कर्नाटक- 287 अत्महत्याएं
चौथा स्थान- मध्य प्रदेश- 235 अत्महत्याएं
पांचवा स्थान- गुजरात- 162 अत्महत्याएं
कुल 1296 छात्रों ने इन 5 राज्यों में आत्महत्याएं की हैं जो पूरे देश के छात्रों की ओर से किए जा रहे आत्महत्या का 60 प्रतिशत से अधिक है।
जाने अन्य शहरों के भी हाल
शहरों की बात करें तो साल 2020 में राजधानी दिल्ली में फेल होने के कारण 56 छात्रों ने आत्महत्या कर ली है। वहीं बेंगलरू में 40, मुंबई में 29 छात्रों ने आत्महत्या की है।
दिल्ली- 56
सूरत- 41
बेंगलुरु- 40
धनबाद- 37
रांची- 29
मुंबई- 29
