नई दिल्ली. भारत सहित कई देशों में पिछले दो सालों में कोरोना वायरस ने सभी को झकझोर कर रख दिया। कोरोना की दूसरी लहर से भारत में त्राहिमाम मच गया। धीरे-धीरे कोरोना संक्रमण के मामले धीरे-धीर कम होते चले गए। लेकिन दुनिया में कई देश ऐसे हैं जहां पर कोरोना ने फिर से पांव पसारने शुरू कर दिए है। लेकिन भारत में कोरोना संक्रमण अभी नियंत्रित है। भारत ने कोरोना पर कैसे काबू पाया इसी जानकारी आइसीएमआर की वैज्ञानिक प्रज्ञा यादव ने दी। उन्होंने बताया कि कोरोना के लिए बने टीके का अभी तक मिश्रित मिश्रण और उससे संबंधित टीके की खुराक पर कोई नैदानिक परीक्षण नहीं किया है, लेकिन अमेरिका में दो अध्ययन किए थे जो बेहतर इम्युनोजेनेसिटी दिखाते थे। यूपी में भी, मिश्रित खुराक देने वाले लोगों के समूह में वही रोग प्रतिरोध क्षमता दिखाई नजर आई है। आईसीएमआर की वैज्ञानिक प्रज्ञा यादव ने बताया कि हम ओमिक्रोन को लेकर ज्यादा आशंकित थे, लेकिन जनवरी के बाद हमें इससे राहत मिली दिखी, जब अधिकांश मामले स्पर्शोन्मुख थे। देश में कम मृत्यु दर के साथ कोविड का नया वेरिएंट इतना ज्यादा प्रभावशाली नहीं रहा था। वजह यही थी कि देश में बड़े पैमाने पर टीकाकरण और वेरिएंट पर शोध, इसके अलावा कई ऐसे कारण थे। जिनसे हम ओमिक्रोन को खत्म कर सकते थे। हमने टीकाकरण और जनजागरूकता के साथ ही शोध के नतीजे के मुताबिक काम करना शुरू किया। प्रज्ञा यादव ने बताया कि जैसे ही चीन में कोरोना के संक्रमण बढऩे लगे और उसने अपने शुरुआती कोविड मामलों की रिपोर्ट करना शुरू किया, हमारे यहां एनआईवी ने परीक्षण प्रणाली की तैयारी शुरू कर दी और वुहान से लौटे छात्रों में भारत में पहले 3 मामलों का पता लगा लिया। इसके बाद हमें पता था कि महामारी आ रही है और भारत को इससे निपटने के लिए संसाधनों को जमा करना होगा। बता दें कि भारत में कोरोना वायरस के मामले अब काफी कम होने लगे हैं, अब कई राज्यों में कोविड गाइडलाइंस में ढील भी दी जा रही है। लोगों को फेसमास्क पहनना अब ऐच्छिक कर दिया है, लेकिन अभी भी सचेत रहने की जरुरत है।
