हैदराबाद. देश में कोरोना से लड़ रहे लोगों के लिए राहत वाली खबर सामने आई है। अब स्पूतनीक वैक्सीन मिल गई है। डॉ. रेड्डीज लैबोरेट्रीज ने देश में रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-वी की आज से डिलीवरी शुरू कर दी है। फिलहाल हैदराबाद में ये वैक्सीन पायलट प्रोजेक्ट के तहत सीमित अवधि के लिए उपलब्ध कराई जा रही है। डॉ. रेड्डीज ने स्पूतनिक-वी की एक डोज की कीमत 995.40 रुपए तय की है। वह अभी 948 रुपए प्रति डोज की दर से वैक्सीन आयात कर रही है। इस पर 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी वसूला जा रहा है। इसके बाद वैक्सीन की कीमत 995.4 रुपए प्रति डोज हो जाती है। शुक्रवार को हैदराबाद में डॉ. रेड्डीज लैबोरेट्रीज में इसकी पहली डोज लगाई गई। डॉ. रेड्डीज लैबोरेट्रीज रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड की भारतीय पार्टनर है। रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-वी का भारत में प्रोडक्शन डॉ. रेड्डीज लैबोरेट्रीज ही करेगी।
पहली खेप 1 मई को आई थी
डॉ. रेड्डीज का कहना है कि एक मई को स्पूतनिक-वी की पहली खेप भारत पहुंची थी। इसको सेंट्रल ड्रग लैबोरेट्री कसौली से 13 मई को रेगुलेटरी क्लीयरेंस मिला है। आने वाले महीनों में वैक्सीन की और खेप आने की पूरी उम्मीद जताई जा रही है। इसके बाद भारत में ही स्पुतनिक-वी का उत्पादनल किया जाएगा। यहां इसका उत्पादन किए जाने से इसकी दरों में भी कमी आएगी।
6 मैन्युफैक्चरर्स से चल रही बातचीत
डॉ. रेड्डीज ने कहा कि देश की वैक्सीन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कंपनी 6 मैन्युफैक्चरर्स से बातचीत की जा रही है। डॉ. रेड्डीज के को-चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर जीवी प्रसाद ने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीनेशन ही प्रभावी हथियार है। इस समय हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता भारतीयों का वैक्सीनेशन करना है।
इसलिए खास है स्पूतनिक-वी
– रूस ने अपनी एंटी-कोविड-19 वैक्सीन का नाम स्पुतनिक वी इसलिए रखा है कि वह अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि को याद रखना चाहता है। 1957 में 4 अक्टूबर को सोवियत संघ ने दुनिया का पहला सैटेलाइट स्पूतनिक लॉन्च किया था। उस समय चल रहे शीत युद्ध के दौरान उसे रूस की बड़ी उपलब्धि माना गया।
– मॉडर्ना और फाइजर की एमआरएनए वैक्सीन ही 90 प्रतिशत से अधिक इफेक्टिव साबित हुई हैं। इसके बाद स्पुतनिक वी ही सबसे अधिक 91.6 प्रतिशत इफेक्टिव रही है। इसे रूस के गामालेया इंस्टीट्यूट ने रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड की फंडिंग से बनाया है। यह कोवीशील्ड जैसी ही है। कोवीशील्ड में चिम्पैंजी में मिलने वाले एडेनोवायरस का इस्तेमाल किया है। इधर रूसी वैक्सीन में दो अलग-अलग वेक्टरों को मिलाकर इस्तेमाल किया है। एस्ट्राजेनेका और रूसी वैक्सीन के कम्बाइंड ट्रायल्स की बात जारी है।
स्पूतनिक वी को अब तक दुनिया के 60 देशों में अप्रूवल मिल चुका है। सबसे पहले अगस्त 2020 में रूस ने इसे मंजूरी दी थी। इसके बाद अर्जेंटीना, बोलिविया, अल्जीरिया, फिलिस्तीन, वेनेजुएला, पैराग्वे, यूएई, बेलारूस, सर्बिया, तुर्कमेनिस्तान में भी इसे अनुमति दी है। यूरोपीय यूनियन के ड्रग रेगुलेटर से भी इसे जल्द ही अनुमति मिल सकती है।
दिसंबर तक होंगी 216 करोड़ डोज के उत्पादन का अनुमान
मौजूदा समय में देश में 18 साल से ऊपर के सभी व्यक्तियों के लिए वैक्सीनेशन कार्यक्रम जारी है। इसके लिए भारत बायोटेक की कोवैक्सिन और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोवीशील्ड वैक्सीन शामिल हैं। नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने बताया कि अगस्त से दिसंबर के दौरान देश में वैक्सीन की 216 करोड़ डोज के उत्पादन का अनुमान है। इसमें 75 करोड़ डोज कोवीशील्ड और 55 करोड़ डोज कोवैक्सिन की शामिल होंगी। इधर बायोलॉजिकल ई की 30 करोड़ डोज, भारत बायोटैक की नैजल वैक्सीन की 10 करोड़ डोज, जिनोवा की 6 करोड़ डोज,जायडस कैडिला की 5 करोड़ डोज, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की नोवावैक्स की 20 करोड़ डोज, स्पूतनिक-वी की 15.6 करोड़ डोज उपलब्ध होने की उम्मीद जताई जा रही है।
