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चूरू के पॉलीटेक्निक कॉलेज में स्ट्रांग रूम का ताला खोलते कर्मचारी |
जयपुर. राजस्थान की तीन विधानसभा सीटों के परिणाम जारी कर दिए गए हैं। तीनों ही स्थानों पर सहानुभूति की लहर ने ऐसा काम किया गया। सभी प्रत्याशी की नैया पार हो गई। राजसमंद में कांग्रेस का दाव नहीं चल पाया। यहां भाजपा ने जीत दर्ज कर ली। सहाड़ा से कांग्रेस की गायत्री देवी, सुजानगढ़ में कांग्रेस के मनोज मेघवाल ने जीत हासिल कर ली है। यहां भी कांग्रेस ने सहानुभूति का कार्ड खेला था। ये तीनों ही सीटें ऐसी हैं। और राजसमंद से भाजपा की दीप्ति माहेश्वरी ने जीत दर्ज की है। तीनों सीटों पर दिवंगत विधायकों के परिजनों को पार्टी ने टिकट दिया और तीनों जीत गए।ये इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि तीनों ही जीतने वाले पहली बार विधानसभा में पहुंचेंगे।
सहाड़ा: कांग्रेस की गायत्री देवी ने 42099 वोट से जीती
सहाड़ा में 28 राउंड की काउंटिंग हो गई है। यहां कांग्रेस की गायत्री देवी ने 42099 वोट के अंतर से भाजपा को हराया है। गायत्री देवी को 81,151, भाजपा के डॉ. रतनलाल जाट को 39,052 वोट मिले। आरएलपी के बद्रीलाल जाट को 12,175 वोट मिले। यहां नोटा में 4074 वोट पड़े।
सुजानगढ़: कांग्रेस के मनोज ने भाजपा को हराया
सुजानगढ़ में कांग्रेस के मनोज मेघवाल ने जीत दर्ज की है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस के विजयी प्रत्याशियों को सोशल मीडिया पर जीत की बधाई दी। हालांकि, चुनाव आयोग ने अभी उनकी जीत का अधिकारिक ऐलान नहीं किया है।
सहाड़ा में इसलिए हुआ नुकसान
सहाड़ा में भाजपा के बागी लादूलाल पितलिया को जबरन चुनावी मैदान से हटने के लिए बाध्य किया गया था। इससे विवाद गहरा गया। जिससे भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा। पितलिया के मन में चुनाव न लडऩे देने की टीस के वायरल ऑडियो से भाजपा को नुकसान हुआ। जबकि दिवंगत विधायक कैलाश त्रिवेदी की पत्नी गायत्री त्रिवेदी को सहानुभूति का पूरा लाभ मिला।
राजसमंद में कांग्रेस ने दी भाजपा को टक्कर
राजसमंद सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है। यहां पर किरण माहेश्वरी की पुत्री दीप्ति माहेश्वरी को प्रत्याशी बनाया गया था। कांग्र्रेस की तरफ से तनसुख बोहरा मैदान में थे। बोहरा ने भाजपा को जबरदस्त टक्कर दी है। क्योंकि यहां भाजपा की जीत का मार्जन ज्यादा नहीं रहा। भाजपा का यहां कम मार्जन से विजय होना भी चौंकाने वाला है। इसके पीछे एक कारण ये भी माना जा रहा है कि राजसमंद में भाजपा को आपसी गुटबाजी तथा कटारिया की ओर से महाराणा प्रताप पर दिए बयान का नुकसान भी हुआ है। ऐसे में कटारिया को फिर चुनाव से कुछ समय के लिए अलग ही कर दिया गया था। कटारिया ने भी इसके लिए सोशल मीडिया पर माफी मांगी थी।
आरएलपी का कांग्रेस को मिला फायदा
सुजानगढ़ में कांग्रेस उम्मीदवार मनोज मेघवाल को आरएलपी का फायदा मिला है। क्योंकि पूसाराम गोदारा से नाराज जाट नेता राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के मुखिया हनुमान बेनीवाल के संपर्क में थे। ये वही इलाके थे। जो नागौर बेल्ट से सटे हुए हैं। इन क्षेत्रों में बेनीवाल करीब दो साल से सक्रिय थे। जिसका लाभ मिला। यहां पर वोट भाजपा के पक्ष में ना जाकर आरएलपी को पड़े। इसके अलावा इस बार कांग्रेस प्रत्याशी मनोज मेघवाल का साथ भी शहरी क्षेत्र ने भी खूब दिया। पिता व बहन के निधन के बाद मनोज को सहानुभूति का भी पूरा फायदा मिला। इसी कारण उनकी जीत तय हो गई थी। मनोज मेघवाल स्वयं की भी कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट आई है। इसलिए वे अपना प्रमाण पत्र नहीं लेने पहुंचे। वे किसी कार्यकर्ता को इसके लिए नियुक्त करेंगे। मनोज मेघवाल 35507 से जीता।
कोविड प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान
इधर प्रशासन ने कोरोना संक्रमण को लेकर जारी की गई गाइड लाइन की पूरी पालना की। कार्मिकों को आरटीपीसीआर की रिपोर्ट देखने के बाद ही मतदान केन्द्र में प्रवेश दिया गया। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम रहे। इसके अलावा कलक्टर, एसपी व निर्वाचन आयोग के पर्यवेक्षक मतगणना स्थलों पर निगरानी बनाए रखे हुए थे।
56 साल में पहली बार चला सहानुभूति कार्ड
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक विधानसभा उपचुनाव में तीनों सीटों पर सहानुभूति कार्ड चला है। 56 साल के इतिहास में गौर करें तो ये इस बार पहला मौका है जब दिवंगत विधायकों के परिवार उपचुनाव जीते हैं। राजस्थान में 1965 से लेकर अब तक हुए उपचुनाव में जब-जब दिवंगत नेता के परिजनों को टिकट दिया। वे चुनाव हारते रहे हैं। इस बार 56 साल पुराना मिथक टूट गया है।
जहां थे वहीं रह गए
आपको बता दें कि विधानसभा में संख्या बल में कांग्रेस और भाजपा दोनों जहां पहले थे। अब भी वहीं के वहीं रह गए हैं। 3 में से 2 सीटें कांग्रेस और 1 भाजपा के पास थी। अब भी 2 सीट कांग्रेस जीती और एक पर भाजपा। इसलिए किसी का नफा नुकसान नहीं हुआ है।
