जयपुर. कृृषि एवं उद्यानिकी मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि सरकार द्वारा काश्तकारों के कल्यार्णाथ चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए, जिससे इन योजनाओं की जानकारी दूर-दराज के किसानों को मिले और कृृषि के आधुनिक संसाधनों का प्रयोग कर वे अपनी आय में इजाफा कर सकें। कटारिया ने यह बात स्थानीय दुर्गापुरा स्थित इन्टरनेशनल हॉर्टिकल्चर इनोवेशन एण्ड ट्रेनिंग सेन्टर में आयोजित वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन एवं शहद उत्पादन विषय पर आयोजित दो दिवसीय राज्य स्तरीय सेमिनार के उद्घाटन अवसर पर कही।
कृषि मंत्री ने सेमिनार में प्रतिभागी किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि उन्हें उनके उत्पादन की सही कीमत मिले इसके लिए उनको बेहतर मार्केटिंग प्लेसमेंट मिलना चाहिए। इसमें कृृषि विभाग के अधिकारियों को उचित व्यवस्था करनी चाहिए। उन्होंने किसानों के मार्गदर्शन और प्रशिक्षण के लिए ?से सेमिनारों को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि किसानों को परम्परागत फसल उत्पादन के साथ-साथ अतिरिक्त आय के लिए मधुमक्खी पालन और शहद उत्पादन के प्रति जागरूक करना होगा। हमारे देश में प्राचीन काल से ही शहद को अमृृत का स्वरूप माना गया है। शहद का उपयोग वर्तमान में और अधिक बढ़ गया है, अब हर छोटे-बड़े स्टोर में बिक्री के लिए रखी शहद की बोतले दिखाई दे जाती हैं। उन्होंने कहा कि किसान इसके अतिरिक्त मत्स्य तथा कुक्कुट पालन और अपने खेतों में फलदार वृक्ष लगाकर भी अपनी आय बढ़ा सकते हैं।
कृषि मंत्री ने सेमिनार में उपस्थित विभागीय अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि उन्हें किसानों तक सही और सटीक जानकारी पहुंचाने का हर संभव प्रयास करना चाहिए तथा किसानों के हितों के लिए बनाई गई केन्द्र अथवा राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारियां उन तक पहुंचायी जानी चाहिए। उन्होंने सेमिनार में भाग ले रहे प्रतिभागी कृृषकों से उनके महत्वपूर्ण सुझाव भी लेने के निर्देश दिये। आरम्भ में कृृषि मंत्री ने दीप प्रज्वलित कर सेमिनार का शुभारंभ किया। विभागीय उच्चाधिकारियों ने उनकों पुष्प गुच्छ भेंट किये। सेमिनार में अपने सम्बोधन में कृषि आयुक्त कानाराम ने कहा कि कृषि विभाग मिशन मोड पर कार्य कर रहा है। अब विभाग की सभी योजनाएं ऑन-लाईन हो गई है। किसानों को किसी भी योजना के लिए आवेदन करने से लेकर भुगतान प्राप्त करने तक कार्यालय के चक्कर नही काटने पड़ते हैं।
उद्यान विभाग के आयुक्त चेतन देवड़ा ने कहा कि सेमिनार का मुख्य उद्देश्य किसानों की आय में अतिरिक्त वृृद्धि करने के लिए उन्हें मधुमक्खी पालन की ओर प्रेरित करना है। उन्होंने कहा कि अभी राज्य के वन क्षेत्र और जनजातीय बाहुल्य वाले जिलों में मधुमक्खी पालन के प्रति किसानों का रूझान कम है। इन क्षेत्रों में मधुमक्खी पालन के प्रति किसानों में जागरूकता बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं। सेमिनार में केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के पूर्व अतिरिक्त आयुक्त ने कहा कि हमे वैज्ञानिक तरीकों से मधुमक्खी पालन पर ध्यान देना होगा, इसके लिए अप्लाइड रिसर्च की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि किसानों को समझाना होगा कि जिस खेत में मधुमक्खियों की कॉलोनियां स्थापित की गई होती हैं वहां फल-फूल अधिक मात्रा में होते हैं।
सेमिनार के तकनीकी सत्र के दौरान राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन के उद्देश्य पर किसानों को विस्तृृत जानकारी देने के साथ इसके अन्तर्गत प्रतिबंधित मधुमक्खी परागण- वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर विषय विशेषज्ञों द्वारा जानकारी दी गई। इस दौरान कृषि मंत्री ने परिसर में दो जामुन के पौधे लगाए।
