लखनऊ. राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में कानपुर में उपद्रव के मामले में पापुलर फं्रट आफ इंडिया का कनेक्शन होने संभावना जताई जा रही है। देश में कई दंगों के साथ उपद्रव के मामलों में इस संगठन की भी साजिश रहती है। इसी कारण कानपुर के बवाल में इसकी साजिश का शक जताया जा रहा है। कानपुर में अब हालात तनावपूर्ण हैं बल्कि नियंत्रण में भी है। कई बटालियन पीएसी के साथ ही रैपिड एक्शन फोर्स की टीम ने रात में ही दंगों पर नियंत्रण कर लिया है। कानपुर के पुलिस कमिश्नर वीएस मीणा ने गृह विभाग तथा पुलिस के आला अधिकारियों को जो जानकारी दी है, उसमें अचानक हुए उपद्रव में पीएफआइ के कनेक्शन की आशंका है। ऐसे में पीएफआइ के कनेक्शन की भी जांच प्रमुखता के साथ शुरू कर दी गई है। कानपुर के नई सड़क क्षेत्र में शुक्रवार को उपद्रव के मामले में 55 लोगों के खिलाफ नामजद मामले दर्ज किए गए हैं। इस मामले में हजार अज्ञात पर भी पुलिस की नजर है।
पुलिस रातभर दबिश देकर अब तक 35 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। कानपुर में सुरक्षा व्यवस्था संभालने पीएसी की कई पहुंची चुकी हैं। पुलिस कमिश्नर ने कहा कि कानपुर में हुई हिंसा के पीछे पीएफआई या किसी अन्य संगठन की साजिश से भी जोड़कर देखा जा रहा है और इसकी जांच की जा रही है। कानपुर हिंसा मामले पर पुलिस आयुक्त विजय सिंह मीणा ने कहा कि हमने सुरक्षाकर्मियों को समझाया कि सब सतर्क और सजग रहकर ड्यूटी करें। हम लोग एक रूट मार्च फूट पेट्रोलिंग भी कर रहे हैं ताकि आम जनता में विश्वास बने। यहां पर्याप्त पुलिस बल तैनात है। प्रशासन से बातचीत के बाद कानपुर बंद का ऐलान करने वाले संगठन ने अपने इस बंद को वापस ले लिया था, लेकिन हिंसा अचानक भड़की।
कानपुर में एमएमए जौहर फैन्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हयात जफर हाशमी सहित कुछ स्थानीय नेताओं ने बंद का आह्वान किया था। कानपुर में उपद्रव के मामले में तीन तीन एफआईआर की गई है। मुख्य आरोपी हयात जफर हाशमी अभी तक फरार चल रहा है। हयात के कनेक्शन पीएफआइ से भी जुड़े होने की जानकारी मिली है। सूफी खानकाह एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सूफी कैसर हसन मजीदी ने कहा कि शुक्रवार को जो बवाल हुआ उसका कहीं न कहीं पापुलर फ्रंट आफ इंडिया का कनेक्शन है। इसके स्थानीय सक्रिय सदस्यों की मदद से इस बवाल को बढ़ाने का काम किया है। मामले में सरकार से वह उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है।
हयात जफर हाशमी पहले भी कर चुका है माहौल खराब
मौलाना मोहम्मद अली (एमएमए) जौहर फैंस एसोसिएशन का अध्यक्ष हयात जफर हाशमी पहले भी माहौल को खराब कर कर चुका है। कई बाद उसने शहर में उपद्रव कराया है। मकान खाली कराने को लेकर अपनी मां और बहन को उकसा कर जिलाधिकारी कार्यालय भेजा था। जहां दोनों ने मिट्टी का तेल डालकर बेटे के कहने पर आग लगा ली थी। उपचार के दौरान दोनों की मौत हो गई थी। शुक्रवार को जो बवाल हुआ उसका मास्टर माइंड भी हयात जफर हाशमी को ही बताया जा रहा है। राशन कोटे की दुकान चलाने वाला हयात इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय रहता है। एनआरसी और सीएए बवाल के दौरान भी इसकी सक्रिय भूमिका रही थी। 21 अक्टूबर को हयात ने मूलगंज से मेस्टन रोड, शिवाला बाजार, रामनारायण बाजार होते हुए फूलबाग तक जुलूस ए मोहम्मदी निकाला था। उसमें उसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ था।
तीन केस में 55 नामजद
कानपुर में हुए उपद्रव के ममले में पुलिस ने तीन केस में 55 लोगों को नामजद किया है। एक मुकदमा बेकनगंज थाना प्रभारी नवाब अहमद ने दर्ज कराया है। दूसरा मुकदमा चौकी प्रभारी हीरामन पुरवा उस्मान ने दर्ज कराया है और तीसरा मुकदमा घायल मुकेश की ओर से दर्ज हुआ है। पहले मुकदमे में 36 लोगों को नामजद किया है। इसमें सैकड़ों अज्ञात बताए हैं। दूसरे मुकदमे में 19 लोगों को नामजद किया है। इसमें भी सैकड़ों लोगों को अज्ञात दर्शाया गया है। एक हजार लोगों को अज्ञात हमलावर बताया है। तीन केस में पुलिस अब तक 22 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। अभी तक अधिकृत गिरफ्तारी की घोषणा नहीं की है।
पीएसी के हवाले नई सड़क और उपद्रव प्रभावित क्षेत्र
कानपुर में शुक्रवार जुमे की नमाज के बाद हुए उपद्रव के बाद पुलिस प्रशासन ने नई सड़क तलाक महल दादामियां कहां था आदि तमाम क्षेत्रों को पीएसी के हवाले कर दिया है। यहां पर हर क्षेत्र पर पुलिस के साथ पीएसी को तैनात किया है। हर आने जाने वाले के साथ पुलिस सख्ती से पेश आ रही है। इसके साथ नजर रखी जा रही है कि कोई नामजद आरोपित मौके का फायदा उठाते हुए फरार ना हो जाए। इसके साथ ही क्षेत्र में खुफिया गतिविधियों को भी बढ़ा दिया है।
आप भी जाने क्या है पीएफआइ
पीएफआई यानी पापुलर फ्रंट आफ इंडिया का अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाने की मामला हो या फिर दो वर्ष पहले सीएए और एनआरसी को लेकर माहौल खराब करने का प्रकरण हो या दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाकों में दंगा कराने की साजिश। पीएफआई ही इन सभी के लिए जिम्मेदार ठहराई जाती रही है। पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया या पीएफआई एक इस्लामिक संगठन है। यह संगठन अपने को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला बताता है। संगठन की स्थापना 2006 में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (एनडीएफ) के उत्तराधिकारी के रूप में हुई। संगठन की जड़े केरल के कालीकट में गहरी हैं। इनका नाम देश में शांति भंग करने के मामले में जरूर आ जाता है। दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई हिंसा से पहले उत्तर प्रदेश के हाथरस कांड में भी इसी का नाम सामने आया था। कहा जा रहा है कि पीएफआई ऐसे मौके पर मोटी रकम खर्च करके माहौल खराब करने का काम करती है। एक मुस्लिम संगठन होने के कारण इस संगठन की ज्यादातर गतिविधियां मुस्लिमों के इर्द गिर्द ही घूमती हैं।
