जयपुर. राज्यपाल कलराज मिश्र की उपस्थिति में राजभवन में आयोजित ‘भक्ति उत्सवÓ के दूसरे दिन सगुण और निर्गुण भजनों, कीर्तन के साथ ही महाराष्ट्र की भक्ति परंपरा की रंजक प्रस्तुतियां दी गई। राज्यपाल श्री मिश्र ने भारतीय भक्ति परम्परा की सराहना करते हुए कलाकारों का अभिनन्दन किया। आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत आयोजित इस कार्यक्रम में गुरुवार शाम पंढरपुर की चंदा ताई और साथियों ने वि_ल की आराधना से जुड़े तुकाराम, कबीर, नामदेव, एकनाथ आदि सन्तों के भाव प्रसंगों की सांगीतिक-नृत्यमय कथा प्रस्तुति दी। उन्होंने अपनी विशिष्ट लोक नाट्य शैली भारुड में भगवद कथा और संत महिमा गाकर उपस्थित जन को आनंदित किया। उन्होंने भजन ‘म्हारा सतगुरु पकडय़ो हाथ नहीं तो बह जाती सुना कर भजनों की शुरुआत की। उन्होंने संत एकनाथ का भजन गाकर साईं महिमा को बहुत सुंदर रूप में वर्णित किया। इसके बाद उन्होंने ‘मैं तो हरि गुण गावत नाचूंगी ‘विराजे गौवर्धन गिरधारी और जैसे संत तुकाराम, मीराबाई के एक के बाद एक कई सुंदर भजन सुना कर भक्ति रस की गंगा बहाई । प्रख्यात भजन गायक ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने गणपति वंदना के सूरदास जी का भजन ‘प्रभु मेरे अवगुण चित न धरोÓ, मीरां के ‘भज मन चरण कमल अविनाशी ‘ सहित गोस्वामी तुलसीदास और संत कबीर के भजनों की सुमधुर प्रस्तुतियां दीं।
राज्यपाल मिश्र, राज्य की प्रथम महिला श्रीमती सत्यवती मिश्र सहित उनके परिजनों, काले हनुमान जी मंदिर महंत गोपाल दास जी, गलत पीठ महंत अवधेशाचार्य, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की निदेशक श्रीमती किरण सोनी , राज्यपाल के प्रमुख सचिव सुबीर कुमार, प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्दराम जायसवाल सहित बड़ी संख्या में समाजसेवी ने भजनों और सांस्कृतिक संध्या का आनंद लिया।
