जयपुर. पंचायती राज विभाग के शासन सचिव नवीन जैन ने कहा है कि ग्राम पंचायत की मॉडल विकास योजना समग्र, समावेशी, सहभागी एवं पर्याप्त दृश्यता के साथ ही वास्तविक जमीनी स्थितियों पर भी आधारित होनी चाहिए। साथ ही इस योजना को एक जगह पर सफलता से संचालित किए जाने के बाद उसकी पूरे राज्य में उसी सफलता के साथ पुनरावृत्ति भी संभव होनी चाहिए। जैन ने पंचायती राज सभागार में मॉडल ग्राम पंचायत विकास योजना पर दिए गए प्रस्तुतीकरण हमारा गांव, हमारा विकास के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि सैद्धान्तिक रूप से सम्पूर्ण नजर आने वाली योजना को वास्तविकता की कसौटी पर कसा जाना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि अभी ग्राम पंचायत स्तर पर विकास गतिविधियों के रूप में मुख्यत: सेनिटेशन, सड़क और स्वच्छ पेयजल की ही बात होती है। ग्राम पंचायत के समन्वित विकास मॉडल के अनुरूप अन्य विभागों की सहभागिता भी सुनिश्चित करनी होगी। साथ ही केवल क्लस्टर पर तैयार फेसिलिटेशन टीम के प्रशिक्षण से ही काम नहीं चलेगा, मॉडल की सफलता के लिए मानव व्यवहार, सतत मॉनिटरिंग जैसे कई पक्षों पर विचार किया जाना जरूरी है। इस मॉडल को आरजेएसए के दिशा निर्देशों में ही तैयार किया जाए।
शासन सचिव ग्रामीण विकास के.के.पाठक ने अन्य सुझावों के अलावा कहा कि ग्राम पंचायत मॉडल विकास योजना में चरागाह और जल संरचनाओं के विकास पर विशेष ध्यान दिया जाना जरूरी है, क्योंकि जमीन की अच्छी उपलब्धता के बावजूद प्रदेश में कई बार चारे की कमी हो जाती है जबकि प्रदेश इसमें सरप्लस हो सकता है। अटॉमिक पॉवर इवोल्यूशन अवेयरनेस फाउण्डेशन के प्रतिनिधि विप्र गोयल द्वारा दिए गए प्रस्तुतीकरण के दौरान बताया गया कि हर जिले में 5 ग्राम पंचायतों के एक क्लस्टर में अर्थात प्रदेश की 165 ग्राम पंचायतों के लिए विकास का इष्टतम प्लान तैयार किया जाना है।
प्रस्तुतीकरण में ग्राम पंचायत के समन्वित विकास के मॉडल की जानकारी दी गई जिसमें वर्षा जल संरक्षण, बारहमासी सिंचाई, समन्वित एवं जीरो बजट कृषि, चरागाह विकास, डेयरी उत्पाद-दूध उत्पादन, दूध संग्रहण एवं प्रॉसेसिंग यूनिट स्थापना, तैयार उत्पादों की बिक्री, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना, बायोगैस प्लांट स्थापना, स्वच्छ गैस व्यवस्था, कृषि और पशुपालन से आय बढाना जैसी गतिविधियां शामिल की गईं। साथ ही इस मॉडल को लागू करने की प्रक्रिया एवं आने वाली चुनौतियों के सम्बन्ध में बताया गया। बैठक में पंचायती राज निदेशक ओमप्रकाश कसेरा, निदेशक वाटरशेड आशीष गुप्ता एवं पंचायती राज विभाग के अन्य अधिकारी शामिल हुए।
