जयपुर. पंचायती राज विभाग के शासन सचिव नवीन जैन ने कहा है कि यदि विकास अधिकारी एवं स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के जिला एवं ब्लॉक समन्वयक 5 से 10 गांवों में सघन रूप से कार्य आरम्भ कर दें तो केवल 3 से 4 महीने में 5 हजार गांवों को ओडीएफ प्लस मॉडल के रूप में घोषित करवाया जा सकता है। जैन ने बुधवार को इंदिरा गांधी पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास संस्थान जयपुर में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण को गति प्रदान करने के लिए आयोजित कार्यशाला के प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए यह बात कहीं। उन्होने गांवों में कचरा प्रबन्धन के लिए 10 बिन्दुओं पर आधारित मॉडल प्लान की जानकारी देते हुए प्रतिभागियों को बताया 15 सौ से 35 सौ तक की आबादी और 400 से 600 घरों वाले गांव में इस प्लान को व्यावहारिक रूप से क्रियान्वित किया जा सकता है। जैन ने कहा कि कचरा पात्र, सामुदायिक कचरा पात्र, स्वच्छता प्रहरी, ट्राइसाइकिल, खाद गढडा, रिसोर्स रिकवरी सेंटर, घरेलू स्तर पर सोक पिट, सामुदायिक स्तर पर मैजिक पिट, नाली निर्माण एवं इन्सिनरेटर आदि घटकों पर चरणबद्ध रूप से काम करते हुए एवं कार्यशील कचरा प्रबन्धन तंत्र विकसित किया जा सकता है।
कार्यशाला में निदेशक स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण श्री संदेश नायक ने कहा कि टीम के रूप में कार्य करते हुए नियत समय में लक्ष्य अर्जित किए जाने के प्रयास किए जाने चाहिए और कार्य के दौरान क्षेत्र में आ रही समस्याओं का समाधान तुरन्त किया जाना चाहिए। यूनिसेफ के विषय विशेषज्ञ श्री रूषभ हिमानी ने बताया कि रेट्रोफिटिंग सामुदायिक स्वच्छता परिसर, ठोस एवं तरल कचरा प्रबन्धन के घटकों पर काम करते हुए लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है। लोक व्यवहार परिवर्तन के लिए आईईसी टूल उपयोग इसमें सहायक होगा।ग्राम पंचायत जवानपुरा के सरपंच श्री जयराम जाट ने अपने गांव की केस स्टडी प्रस्तुत करते हुए स्वयं सहायता समूह के साझे प्रयास से साफ-सफाई की व्यवस्था की जानकारी दी।
प्राइपूव के सरोजकान्त चौधरी ने डीपीआर निर्माण के दौरान ध्यान देने योग्य बिन्दुओं पर की जानकारी दी। ऋषि मुल्ल ने मॉडल प्लान के विविध घटकों पर प्रतिभागियों की समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया। ओम प्रकाश परिहार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण एवं नरेगा के समन्वय के दौरान ध्यान देने योग्य बिन्दुओं पर प्रतिभागियों को जानकारी दी गई। आमुखीकरण कार्यशाला में 15 जिलों के 243 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इनमें मुख्य कार्यकारी अधिकारी, विकास अधिकारी, जिला परियोजना समन्वयक, ब्लॉक समन्वयक, प्रभारी अधिकारी एवं ठोस एवं तरल कचरा प्रबन्धन विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।