कोलकाता. बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में गिरफ्तार पार्थ चटर्जी को पश्चिम बंगाल कैबिनेट से बाहर कर दिया गया है। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय एक के बाद एक नए सबूत जुटा रहा है। इडी की नजर पार्थ की एक और दोस्त पर है। दोस्त के पासपोर्ट से मलेशिया जाने की जानकारी मिली है। वह क्यों मलेशिया गईं थीं, इसको लेकर पूछताछ की जा रही है। इडी ने उनके दोस्त के पासपोर्ट, उनकी फोटो सहित अन्य दस्तावेज़ एकत्रित कर ही है। इडी अब इस बात की जानकारी जुटा रही है कि क्या मलेशिया घूमना सिर्फ एक बहाना था ताकि पैसे को ठिकाने लगाने का मकसद।
ईडी अधिकारियों का अब मानना है कि यह हैवीवेट राजनेता (अनपेक्षित रूप से) राज्य में शिक्षकों की भर्ती के लिए घोटाले में शामिल अन्य लोगों की भूमिका के बारे में खुलासा करना शुरू करेंगे। उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी ने पहले ही मामले में बात करना शुरू कर दिया है और पूछताछ करने वाले अधिकारियों को बताया है कि पार्थ चटर्जी की ओर से उनके साथ केवल एक बैंक (जमाकर्ता) के रूप में व्यवहार किया था, ताकि वे कुछ एहसान के बदले नकद और अन्य कीमती सामान अपने पास रख सके।
ईडी के एक सूत्र ने कहा, हम अब चटर्जी और मुखर्जी की ओर से बनाई गई मुखौटा (फर्जी) कंपनियों के स्वामित्व वाली संपत्ति की तलाश कर रहे हैं। घरों और फ्लैटों के अलावा, हमें बंटाला लेदर कॉम्प्लेक्स क्षेत्र में जमीन की जानकारी मिली है। जिसे कथित तौर पर शेल कंपनियों में से एक, इच्छी एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड की ओर से खरीदा था। इस जमीन का मूल्यांकन 20 करोड़ रुपए से उपर बताया जा रहा है। यह कथित तौर पर बेलियाघाटा में एक परिवार से खरीदी गई थी। संपत्ति का मूल्यांकन अकेले 50-60 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है, लेकिन, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी को पार्थ चटर्जी को उनके मंत्री पद से मुक्त करने में लगभग छह दिन क्यों लगे?