बीजिंग. चीन के कई इलाके भयंकर तापमान से झुलसने को मजबूर हैं। दूसरी ओर बाढ़ से त्राहिमाम-त्राहिमाम की स्थिति बनी हुई। इस बीच चीन ने वर्ष का अपना पहला राष्ट्रीय सूखा अलर्ट जारी कर दिया है। इसके एक तरफ अधिकारी जंगल में लगी आग रोकने में लगे हुए हैं। दूसरी तरफ यांग्त्जी नदी बेसिन में चिलचिलाती तापमान से फसलों को बचाने के लिए विशेषज्ञ टीम प्रयास करने में जुटी हुई है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि चीन ने देश में ऐसी स्थिति खुद पैदा की है। कुदरत के विपरीत किए चीन के अनगिनत प्रयोग अब उनके लोगों पर कहर बनकर टूट रहे हैं। चीन की महत्वपूर्ण नदी में से एक यांग्त्जी नदी अब लगभग सूख चुकी है। इसे भारी मात्रा में जल प्रदान करने वाली महत्वपूर्ण पोयांग झील अब सिकुड़ कर एक चौथाई तक आ पहुंची है। दरअसल तकनीक के बल पर चीन ने प्रकृति को अपने मनमुताबिक बदलने की कोशिश की। जिसका खमियाजा चीन को भुगतना पड़ रहा है। चीन ने कई ऐसे प्रयोगों में दुनिया को ये दिखाने की कोशिश की है कि वह प्रकृति पर विजय हासिल कर सकता है। कृत्रिम सूरज का निर्माण करना हो या बादल को मोड़कर दूसरे इलाके में पानी बरसाना हो… चीन ने असंभव काम को संभव बनाने में प्रकृति के चक्र को पूरी तरह से मोडऩे की कोशिश की है। उसी का अब उलटा असर चीन पर नजर आ रहा है।
बारिश कराने के प्रयास में जुटे वैज्ञानिक
हुबेई के प्रांतीय आपातकालीन प्रबंधन विभाग के मुताबिक चीन के हुबेई प्रांत में 42 लाख लोग गंभीर सूखे से पीडि़त हैं। हर दिन यहां डेढ़ लाख लोगों तक सरकार की ओर से पीने का पानी पहुंचाया जा रहा है। इतने कम पानी की वजह से यहां खेती करना असंभव हो चुका है। जमीन में दरारें पडऩे लगी हैं। एशिया की सबस बड़ी नदी यांग्त्शी में पानी लाने के लिए चीनी वैज्ञानिक प्रयास कर रहे हैं। चीनी वैज्ञानिक बादल बनाने और बारिश लाने के लिए सिल्वर आयोडाइड छड़ को आसमान में विमान से छोड़ रहे हैं।
आसमान में सिल्वर आयोडाइड की छड़ें भेज रहा चीन
सिल्वर आयोडाइड की छड़ें सिगरेट के आकार की होती हैं। ये बर्फ के क्रिस्टल के निर्माण में सहायक होती हैं। यह बादलों में नमी बढ़ाने में सहायक होती है। जिससे बारिश की संभावना बढ़ जाती है। चीन 1940 से ही क्लाउड सीडिंग तकनीक का उपयोग कर रहा है। चीन को उम्मीद है कि ऐसा कर वह फिर से एशिया की सबसे बड़ी नदी में पानी ला सकता है। ये नदी न सिर्फ खेतों की सिंचाई के लिए पानी देती है, बल्कि बिजली का प्रोडक्शन भी करती है। लेकिन अभूतपूर्व गर्मी की वजह से पानी सूख चुका है। जिससे न तो खेतों को पानी ही मिल पा रहा है और न ही बिजली पैदा हो पा रही है।
प्रकृति से चीन ने किया खिलवाड़
चीन में जो हो रहा है उसके लिए प्रकृति नहीं बल्कि उसकी की महत्वकांक्षी योजनाएं जिम्मेदार हैं। 2020 में चीन ने स्काई रीवर प्लान तैयार किया था। इस प्रोजेक्ट का मकसद यांग्त्जी नदी को पीली नदी से जोडऩा था। चीन ने इसके लिए क्लाउड सीडिंग का सहारा लिया। चीन की पीली नदी के बेसिन की विशालता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये भारत के आधे हिस्से के लगभग बराबर है। क्लाउड सीडींग का इस्तेमाल 2 साल पहले बारिश के कुदरती नियमों को बदलने के लिए किया था। इसमें चीन ने यांग्त्जी नदी के ऊपर आए बादलों को पीली नदी की तरफ मोड़ दिया। लेकिन इसका नतीजा अब चीन के लिए एक बुरा स्वपन साबित हो रहा है।
सूख रही चीन की सबसे बड़ी नदी
चीन के स्काई रीवर प्लान के ऐलान के 1 साल बाद 2021 में सबसे पहले खबर आई कि चीन की सबसे बड़ी यांग्त्जी नदी सूख रही है। चीन की यांग्त्जी नदी में पानी का लेवल कम होने लगा है। अब 2022 में सूखे ने विकराल रूप ले लिया है। चीन के यूनान, सिचुआन, हुबेई, हुनान, जियांग्शी, अनहुई, जियांग्सु प्रांत सूखे का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा नहीं है कि चीन बस सूखे से जूझ रहा है। चीन पर बाढ़ का कहर टूट कर बरस रहा है। चीन के पीली नदी में भयंकर बाढ़ आई हुई है। इसकी वजह भी चीन का प्रकृति संग खिलवाड़ ही बताया जा रहा है।