जैसलमेर. धोरों के बीच छिपे दुश्मनों की भनक जब पिनाका मिसाइल को लगी तो ताबतोड़ हमले कर उसे नेस्तनाबूद कर दिया। आपको बता दें कि इससे पूर्व प्रचंड गर्मी में 9 अप्रेल को पिनाका एमके आई मिसाइल परीक्षण किया गया था। सोमवार को मिसाइल के एडवांस वर्जन का परीक्षण किया गया। बताया जा रहा है कि ये परीक्षण भी सफल रहा है। परीक्षण के दौरान फायरिंग रेंज दहल उठी। आपको बता दें कि पिनाका मिसाइल ताबड़तोड़ हमलों में आर्टिलरी और हत्यारों से लैस वाहनों को तबाह करने में ताकतवर युद्धक हथियार मानी जाती है। भारत ने एक बार फिर रॉकेट सिस्टम प्रणाली में उपलब्धि हासिल की। इस मौके पर आर्मी, डीआरडीओ के अधिकारी मौजूद रह। डीआरडीओ ने वर्ष 1980 में पिनाका रॉकेट सिस्टम को विकसित करने की शुरुआत की थी। इसके दस वर्ष बाद पिनाक मार्क-वन का परीक्षण गत दिनों किया गया था, जो कि सफल रहा। सूत्रों के अनुसार पिनाका को एक गाइडेड मिसाइल की तरह तैयार किया है। यह नई तकनीक से निर्मित है तथा नई जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
आप भी जाने पिनाका मिसाइल का सिस्टम
- -पिनाक विगत दस वर्षों से भारतीय सेना के प्रयोग में लाई जा रही है।
- -डीआरडीओ ने उक्त राकेट सिस्टम को गुणात्मक रूप से बेहतर विकसित किया है।
- -निपिनाका एमके आई राकेट प्रणाली की मारक क्षमता लगभग 45 किलोमीटर है, वहीं पिनाका राकेट सिस्टम की मारक क्षमता 60 किलोमीटर है।
- -वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पिनाक मार्क 1 का प्रयोग हुआ था, जिसके जरिए प्रतिकूल परिस्थितियों में दुश्मन को खदेडऩे में सफलता मिली।
- -मिसाइल का वजन 280 किलो हैं और इसकी लंबाई करीब 15 फीट है।
- -पुणे स्थित एआरडीइ ने पिनाक रॉकेटों के लिए फ्यूज विकसित किए हैं। उड़ान परीक्षणों में फ्यूज का प्रदर्शन बेहतर रहा।
- -डीआरडीओ की प्रयोगशालाओं आयुध उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला और अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान ने उक्त राकेट सिस्टम को बनाया है।
- -यह स्वदेशी मल्टी-बैरल रॉकेट लांचर अब नवीनतम रूप में घातक हथियारों की फेहरिस्त में शामिल हो गया है।