सुजानगढ़. राजनीति में मास्टर जी के रूप में पहचान बनाने वाले सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। उनके निधन से क्षेत्र में हर आंख नम नजर आई। वहीं एक प्रखर नेता भी क्षेत्र की जनता ने खो दिया। जयनिवास से शुरू हुई यात्रा मोक्षधाम पहुंची जहां पर पुत्र ने उन्हे मुखाग्नि दी। उनको श्रद्धांजलि देने केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा, उच्च शिक्षा मंत्री भंवरसिंह भाटी, मंत्री बीडी कल्ला, मंत्री प्रतातसिंह खाचरियावास, मंत्री टीकाराम जूली, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, रामेश्वर डूडी, ममता भूपेश, यूनुस खां, अल्पसंख्यक बोर्ड के चेयरमैन डा.खानू खां बुधवाली, पूर्व मंत्री राजकुमार रिणवा, खेमाराम मेघवाल, सांसद राहुल कस्वा, विधायक अभिनेष महर्षि, विधायक कृष्णा पूनिया, रफीक मंडेलिया, हाजी मकबूल मंडेलिया, सहित प्रदेश के तमाम नेताओं ने सुजानगढ़ पहुंचकर उन्हे श्रद्धांजलि दी। भंवरलाल मेघवाल 72 वर्ष के थे और उनका लंबे समय से ब्रेन हेम्रेज के कारण गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में उपचार चल रहा था। सोमवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टवीट कर अपनी संवेदना व्यक्त की है। मास्टर भंवरलाल मेघवाल का जन्म राजस्थान के चूरू जिले के सुजानगढ़ उपखंड की शोभासर ग्राम पंचायत के गांव बाघसर पूर्वी में चुनाराम मेघवाल के घर 1948 को जन्म हुआ। वर्तमान में इनका परिवार सुजानगढ़ उपखंड मुख्यालय के वार्ड बीस में पीसीबी स्कूल के पीछे स्थित जयनिवास में रहता है। 15 मई 1965 को भंवरलाल मेघवाल की शादी केसर देवी से हुई। बेटी बनारसी देवी जिला प्रमुख रह चुकी है। उनका भी इसी माह निधन हो चुका है। बेटा मनोज मेघवाल नमक का व्यवसाय करते हैं। मास्टर भंवरलाल मेघवाल सुजानगढ़ के सरकारी स्कूल में पीटीआई कार्यरत रहे। शिक्षक होने के कारण ही इन्हें मास्टर भंवरलाल कहा जाता है। 1977 में शिक्षक की नौकरी से इस्तीफा देकर इन्होंने चुनाव लड़ा। पहली बार में हार का सामना करना पड़ा। मेघवाल सुजानगढ़ विधानसभा सीट से निर्दलीय समेत कांग्रेस की टिकट पर पांच बार विधायक रहे चुके हैं।
हारे थे पहला चुनाव
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मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने 1977 विधानसभा चुनाव में पहली बार भाग्य आजमाया लेकिन उन्जहें शिकस्त का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने 1980 के विधानसभा चुनाव में तीन साल बाद फिर भाग्य आजमाया। इस बार उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपनी जीत दर्ज की। मास्टर भंवरलाल के साथ अजब संयोग ये जुड़ा हुआ है कि वे एक बार चुनाव जीतते हैं और उसके बाद का चुनाव हारते हैं।
अब तक लड़ चुके दस चुनाव, पांच बार जीते
मेघवाल सुजानगढ़ से 10 विधानसभा के चुनाव लड़ चुके है व 5वीं बार विधायक बने हैं। मेघवाल ने राजकीय सेवा से शिक्षक की नौकरी छोडकऱ राजनीति में एन्ट्री की थी।
मास्टर भंवरलाल मेघवाल का परिचय
- मास्टर भंवरलाल मेघवाल का 1948 में सुजानगढ़ तहसील के छोटे से गांव बाघसरा अगुणा में जन्म हुआ।
- भंवरलाल मेघवाल ने -एम.ए (इतिहास) की शिक्षा ग्रहण की।
- 1976 तक भंवरलाल मेघवाल ने राजकीय स्कूल में शिक्षक रहे।
- इसके बाद उन्होने 1977 में सुजानगढ़ से पहला चुनाव कांग्रेस की टिकट पर लड़ा लेकिन चुनाव हार गये।
- इसके बाद मेघवाल ने 1980 में निर्दलीय चुनाव लड़े और रिकार्ड तोड़ मतो से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे।
- उस समय सबसे कम उम्र में मास्टर भंवरलाल विधायक चुने गए।
- मेघवाल अब तक सुजानगढ़ से 10 विधानसभा के चुनाव लड़ चुके है और 5 बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे है।