अब्राहम लिंकन 6 नवंबर 1860 को अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति बने थे। वे ऐसे राष्ट्रपति रहे जिनकी दुनिया में आज भी मिसाल दी जाती हे। उनका कार्यकाल सबसे सफल राष्ट्रपतियों में गिना जाता है। सादगी, कर्मठता और ईमानदारी उनमें कूट-कूट कर भरी हुई थी। उनके जीवन की सबसे बड़ी बात ये थी कि वह गरीब परिवार से थे। ऐसे व्यक्ति का राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना कई मायनों में खास हो जाता है। अब्राहम लिंकन जितने सहज और सरल थे, उनकी पत्नी उतनी ही लड़ाकू, खुदगर्ज और लालची थी। लिंकन की जीवनी लिखने वाले कई लेखकों ने ये तक लिख दिया था कि उनकी पत्नी न केवल लड़ती थी बल्कि हाथापाई तक कर लेती थी। अब्राहम लिंकन ने मैरी टाड के साथ शादी की थी, जबकि उन्हें ये रिश्ता बिल्कुल पसंद नहीं था। एक बार उनकी सगाई टूट भी गई, लेकिन मैरी आमादा थीं कि वो शादी लिंकन से ही करेंगी। उन्होंने ऐसा कर भी लिया। किताब (लिंकन द अननोन) में लेखक डेल कारनेगी लिखते हैं कि लिंकन ने जब पहली बार सगाई तोड़ी थी, तो उनका यही मानना था कि अगर शादी हुई तो विनाशकारी होगी। अब्राहम लिंकन वकालत कर रहे थे और उनकी ख्याति एक प्रखर वक्ता के रूप में की जाने लगी थी। पत्नी से बचने के लिए वो आमतौर पर घर से दूर रहने की कोशिश करते थे और रातें आफिस में बिताते थे। 1860 में जब शिकागो में नवगठित रिपब्लिकन पार्टी ने राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार का चयन किया, तो लिंकन के नाम की कोई संभावना ही नहीं थी। घंटों वाद-विवाद और गुटबाजी के चलते जब लिंकन के नाम का नामांकन हुआ तो लोग हैरान रह गए। लिंकन को कोई नहीं जानता था। दासप्रथा को लेकर जब अमेरिका का दक्षिणी हिस्सा जल रहा था, उस समय लिंकन भाषणों में कहते थे, \’अगर दासता गलत नहीं है तो कुछ भी गलत नहीं है। वह चुनाव जीते और राष्ट्रपति बने। 1 जनवरी 1963 को राष्ट्रपति के तौर पर अब्राहम लिंकन ने दासप्रथा के खिलाफ कानून पर हस्ताक्षर किए। कहा जाता है कि लिंकन को जितना मान-सम्मान मिला उतनी ही उनकी पत्नी को बदनामी मिली। उनके निधन के बाद उन्होंने अपने लिए ज्यादा पैसे की मांग की। राष्ट्रपति भवन से जाते समय मैरी वहां से कई कीमती सामान भी उठा ले गईं। मैरी को राष्ट्रपतियों की सबसे लालची और खुदगर्ज पत्नी के रूप में याद किया गया।