रोशनी का त्योहार यानी की दिवाली। ये पर्व हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। पौराणिक मान्यताओं पर गौर करें तो इस दिन भगवान श्रीराम 14वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे। इस दिन अयोध्या नगरी में हर जगह उत्साह था। इसी के बाद से ये त्योहार देश में मनाया जाने लगा है। लेकिन एक देश ऐसा भी है जहां दिवाली मनाने की अनूठी परंपरा है। भारत का पड़ौसी देश नेपाल में दिवाली तो मनाई जाती है लेकिन यहां पर लक्ष्मी-गणेश की नहीं बल्कि कुत्तों की पूजा की जाती है। यहां इस दिवाली को तिहार कहा जाता है। नेपाल में भारत की तरह ही दिवाली मनाई जाती हे। लेकिन इसके अगले ही दिन एक और दिवाली मनाई जाती है। इस दिवाली को कुकुर तिहार कहा जाता है। इसमतें कुत्तों की पूजा की जाती है। ये दिवाली पांच दिन चलती है। इस दौरान लोग अलग-अलग जानवर जैसे गाय, कुत्ते, कौआ, बैल आदि की पूजा करते हैं। कुकुर तिहार पर कुत्तों को सम्मानित किया जाता है। उनकी पूजा की जाती है, फुलों की माला पहनाई जाती है और तिलक भी लगाया जाता है। इस दिन कुत्तों के लिए खास व्यंजन तैयार किए जाते हैं। कुत्तों को दही का सेवन कराया जाता है। साथ ही अंडा और दूध खाने के लिए दिए जाते हैं। लोग ऐसा इसलिए करते हैं, क्योंकि उनकी कामना होती है कि कुत्ते हमेशा उनके साथ बने रहें।
मान्यता है कि मरने के बाद भी कुत्ते मालिकों की रक्षा करते हैं
कुकुर तिहार में विश्वास करने वाले लोगों कुत्ते को यम देवता का संदेशवाहक मानते हैं। नेपाली लोग ऐसा मानते हैं कि कुत्ते मरने के बाद अपने मालिक की रक्षा करते हैं। इन्हीं कारणों की वजह से नेपाल में कुत्तों की पूजा की जाती है। दुनिया भर में जानवरों के खिलाफ हो रही कू्ररता के खिलाफ नेपाल का यह त्योहार एक खास संदेश देता है।