रतनगढ़. दीपावली हर वर्ष कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर मनाई जाती है। इस वर्ष दिवाली शनिवार को 14 नवंबर को है। इस दिवाली पर देवी लक्ष्मी और गणेश महाराज की पूजा करने का विधान है। आप भी अपने घर पर मां लक्ष्मी-गणेश की शुभ मुहूर्त में पूजा अर्चना कर देवी आशीर्वाद पा सकते हैं। आइए जानते हैं लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त
14 नवंबर : शाम 5.30 मिनट से 7.25 मिनट तक
अवधि : 1 घंटे 55 मिनट
प्रदोष काल
शाम 5.27 मिनट से 8.06 मिनट तक
वृषभ काल
14 नवंबर शाम 5.30 मिनट से 7.25 मिनट तक
चौघडिय़ा मुहूर्त
शाम: शाम को 5.30 से शाम 7.8 मिनट तक
रात्रि: रात 8.50 मिनट से देर रात 1.45 मिनट तक
दिवाली महानिशीथ काल मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूत्र्त 23:39 मिनट से 24:32 मिनट तक
दिवाली पूजा विधि
दिवाली पर पूजा करने से पहले आप सबसे पहले एक चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाएं। उस पर मां लक्ष्मी, सरस्वती व प्रथम पूज्य गणेश जी का चित्र या प्रतिमा को विराजमान करें। पूजा जलपात्र से थोड़ा-सा जल लेकर उसे प्रतिमा के ऊपर नीच दिए मंत्र को पढ़ते हुए छिड़कें। अपने और फिर पूजा के आसन को भी इसी तरह जल छिड़ककर पवित्र कर लें।
मंत्र
ऊं अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।।
अब पृथ्वी माता को प्रणाम करें और नीचे दिए गए मंत्र को बोलें और उनसे क्षमा प्रार्थना करते हुए आसन पर बैठें
मंत्र
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठ: ग ऋषि: सुतलं छन्द: कूर्मोदेवता आसने विनियोग:॥
ऊं पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
पृथिव्यै नम: आधारशक्तये नम:॥
अब ऊं केशवाय नम:, नारायणाय नम:, माधवाय नम: मंत्र बोलते हुए गंगाजल का आचमन करें।
ध्यान व संकल्प विधि
- ये पूरी प्रक्रिया करने के बाद मन को शांत कर आंखें बंद करें
- मां को मन ही मन प्रणाम करें।
- इसके बाद हाथ में जल लेकर पूजा का संकल्प करें।
- संकल्प के लिए हाथ में अक्षत (चावल), पुष्प और जल लें।
- साथ में एक रूपए (या यथासंभव धन) का सिक्का भी ले लें।
- इन सब को हाथ में लेकर संकल्प करें कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर मां लक्ष्मी, सरस्वती तथा गणेशजी की पूजा करने जा रहा हूं, जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हों।
- इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेशजी व गौरी का पूजन करें।
- फिर कलश पूजन करें।
- फिर नवग्रहों का पूजन करें।
- हाथ में अक्षत और पुष्प लें।
- नवग्रह स्तोत्र बोलें।
- इसके बाद भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन करें।
- इन सभी के पूजन के बाद मातृकाओं को गंध, अक्षत व पुष्प प्रदान करते हुए पूजन करें।
- मौली को गणपति, माता लक्ष्मी व सरस्वती को अर्पण कर अपने हाथ पर बंधवा लें।
- अब सभी देवी-देवताओं के तिलक लगाकर स्वयं को तिलक लगवाएं।
- इसके बाद मां महालक्ष्मी की पूजा आरंभ करें।
- श्रीसूक्त, लक्ष्मीसूक्त व कनकधारा स्रोत का पाठ करें।
- सबसे पहले भगवान गणेशजी, लक्ष्मीजी का पूजन करें।
- उनकी प्रतिमा के आगे 7, 11 अथवा 21 दीपक जलाएं।
- मां को श्रृंगार सामग्री अर्पण करें।
- मां को भोग लगा कर उनकी आरती करें।
- अंत में मां से जाने-अनजाने हुए सभी भूलों के लिए क्षमा-प्रार्थना मांगें।