जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वेतन कटौती के मामले में कर्मचारियों को राहत दी है। अब ये वेतन कटौती अनिवार्य नहीं बल्कि स्वैच्छिक होगी। क्योंकि इस मसले को लेकर राज्य के विभिन्न कर्मचारी संगठनों की मांग की जा रही थी। गौरतलब है की राज्य सरकार ने कोरोना महामारी के चलते कर्मचारियों की वेतन कटौती को अनिवार्य किया गया था। आपको बता दें कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को छोड़ सभी कर्मचारियों की सितंबर माह से वेतन कटौती की जा रही थी। सरकार के जारी आदेश के मुताबिक कर्मचारियों का प्रति माह दो दिन का वेतन काटा जा रहा था। जबकि गैर राजपत्रित अधिकारियों का एक दिन का वेतन काटा जा रहा था। वित्त विभाग के अधिकारियों के अनुसार वेतन कटौती से सीएम रिलीफ फंड में करीब 2 अरब रुपए जमा हुए हैं।
कैबिनेट ने लिया था वेतन कटौती का निर्णय
दरअसल, गहलोत कैबिनेट ने सितंबर में वेतन कटौती का निर्णय लिया था. वेतन कटौती के दायरे में मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायकों समेत आईएएस अफसर, राज्यसेवा के अफसर सहित अन्य गैर राजपत्रित अधिकारियों को रखा गया था। कोरोना महामारी से निपटने के संसाधनों एवं कोविड से प्रभावित जरूरतमंदों पर खर्च करने के लिए सरकार ने वेतन कटौती का यह आदेश जारी किया था। गौरतलब है की सरकार ने वेतन कटौती के दायरे से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं, पुलिस और हाई कोर्ट के जज एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को बाहर रखा था।