दुनिया की महाशक्ति अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर तस्वीर जल्द ही साफ होने वाली है। कई राज्य ऐसे हैं जहां पर डोनाल्ड ट्रंप आगे चल रहे हैं जबकि कई राज्यों में जो बाइडन ट्रंप से आगे चल रहे हैं। आपको बता दें की यहां राष्ट्रपति के चुनाव में जनता सीधे राष्ट्रपति को नहीं चुनती है। इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है इलेक्टोरल वोट। यही काम करता है, जो इलेक्टोरल कॉलेज से मिलकर बनता है।
जाने इलेक्टोरल कॉलेज क्या है
असल में इलेक्टोरल कॉलेज एक बॉडी है, जो जनता के वोट से बनाई जाती है। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि जनता की ओर से चुने गए अधिकारियों का समूह है जो इलेक्टोरल कॉलेज कहलाता है। ये इलेक्टर्स होते हैं और मिलकर राष्ट्रपति चुनते हैं। उप-राष्ट्रपति भी यही बॉडी चुनती है.
इस तरह काम करता है इलेक्टोरल कॉलेज
जानकारी के मुताबिक इसमें कुल 538 सदस्य होते हैं लेकिन हर राज्य की आबादी के हिसाब से उस स्टेट के इलेक्टर्स चुने जाते हैं अर्थात अगर कोई स्टेट बड़ा है, तो उससे ज्यादा इलेक्टर चुने जाएंगे ताकि वो अपनी आबादी का प्रतिनिधित्व सही तरीके से कर सकें। जैसे कैलिफोर्निया की आबादी ज्यादा हैं इसलिए वहां 55 इलेक्टर चुने जाते हैंं। वॉशिंगटन डीसी में 3 सदस्य हैं, जो राष्ट्रपति चुनने में अपनी भूमिका का निर्वहन करेंगे।
जिसकी पार्टी जीती उसके हो जाते हैं इलेक्टर
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए 270 या उससे ज्यादा वोटों की जरूरत होती है। किसी राज्य में जो भी पार्टी जीतती है, सारे इलेक्टर्स उसी के हो जाते हैं। यही वजह है कि अमेरिका में सारे राज्यों पर ध्यान देने की बजाय राष्ट्रपति के दावेदार कुछ खास राज्यों पर ही ध्यान देते हैं। क्योंकि यदि उनकी पार्टी जीतती है तो इलेक्टोरल कॉलेज में उसकी सदस्य संख्या ज्यादा हो जाए। इससे दावेदार राष्ट्रपति पद के ज्यादा करीब होता जाता है.
लोकप्रियता जीत की गारंटी नहीं
यही वजह है कि वोटरों के बीच ज्यादा लोकप्रिय होने के बाद भी ये पक्का नहीं है कि उम्मीदवार राष्ट्रपति बन जाएगा। यदि किसी दावेदार को इलेक्टोरल कॉलेज में 270 वोट नहीं मिलते हैं तो उसकी हार निश्चित है। पिछले चुनाव में ऐसा ही हुआ था। जब हिलेरी को वोटर्स से ज्यादा प्यार मिला लेकिन वे जीत नहीं पाईं. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में पिछले पांच चुनावों से लगातार यही ट्रेंड चल रहा है।
इन स्टेट की रहती महत्वपूर्ण भूमिका
जॉर्जिया, टेक्सस, ओहियो, विस्कोनिस, मिनिसोटा, मिशिगन, पेंसिलविनिया, फ्लोरिडा, एरिजोना और नेवादा राज्य ऐसे हैं जो कांटे की टक्कर के बीच महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। स्विंग स्टेट वे होते हैं जो किसी भी पार्टी का गढ़ नहीं होते। यहां मत बदलते रहते हैं।
कहां कितने वोट हैं
यदि आपको अमेरिका के राष्ट्रपति के चुनाव को समझना है तो सबसे पहले ये चीज जाननी होगी की किस राज्य में कितने इलेक्टोरल वोट कितने हैं। कैलीफोर्निया में 55 इलेक्टोरल वोट है। यह राज्य सबसे अहम माना जाता है इसलिए दावेदारों को इन पर पूरा फोकस रहता है। इसके बाद टेक्सास में 38, फ्लोरिडा और न्यूयॉर्क दोनों के पास 29-29, इलिनोइस और पेन्सिल्वेंनिया के पास 20-20 वोट हैं। ओहियो 18, जॉर्जिया और मिशिगन में 16-16 वोट होते हैं। नॉर्थ कैरोलिना की बात करें तो यहां से 15 इलेक्टोरल वोट आते हैं जबकि न्यू जर्सी में 14 और वर्जीनिया में 13 वोट हैं। इसलिए ये राज्य इलेक्टोरल वोट की दृष्टि से बेहद अहम माने जाते हैं।
इन राज्यों के हिस्से क्या?
वॉशिंगटन की बात करें तो यहां 12 इलेक्टोरल वोट हैं। इसके अलावा अरिजोना, इंडियाना, मैसाचुसेट्स और टेनेसी में 11-11 वोट आते हैं। इसी तरह से मेरीलैंड, मिनेसोटा, मिसौरी और विंस्कॉसिन में 40, अलबामा, कोलैरेडो और साउथ कैरोलिना में 9-9 तथा केंटकी और लूसियाना में कुल 16 इलेक्टोरल, कनेक्टिकट, ओक्लाहोमा और ओरेगन में बराबरी से 21 वोट हैं। अरकंसास, लोवा, कंसा, मिसिसिपी, नेवादा और उताह में 36, न्यू मैक्सिको और वेस्ट वर्जीनिया में 5-5, हवाई, न्यू हैंपशायर और रोड आइलैंड में 4-4 वोट आते हैं. बाकी राज्यों में तीन-तीन के हिसाब से इलेक्टोरल वोट हैं। इससे स्पष्ट है कि कुल 538 वोट ऐसे हैं जो राष्ट्रपति बनने की राह को साफ करते हैं। यही राष्ट्रपति तय करते हैं।