चूरू. कोरोनाकाल में डॉक्टर, पुलिस और सफाई कर्मियों के साथ शिक्षकों ने भी फ्रंटलाइन वॉरियर की भूमिका निभाई है। मार्च से लगातार सर्वे से लेकर नवंबर तक चलने वाले कोरोना जन जागरण अभियान तक शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। ड्यूटी के दौरान सैकड़ों शिक्षक संक्रमित भी हुए। संक्रमितों को डॉक्टर की सलाह पर 14 या इससे अधिक दिन हॉस्पिटल या होम आइसोलेशन में रहना पड़ता है। ड्यूटी के दौरान संक्रमित होने वाले शिक्षकों (टीचिंग-नॉन टीचिंग स्टाफ) के अवकाश का प्रावधान भी बनाया था। राज्य सरकार के वित्त विभाग ने 12 मई को एक आदेश जारी कर कोरोना महामारी को अन्य संक्रमणजनित बीमारियों की श्रेणी में शामिल करते हुए क्वारेंटाइन लीव देने का प्रावधान किया। इससे शिक्षा विभाग के शिक्षकों और नॉन टीचिंग स्टाफ ने राहत पाई कि पॉजिटिव होने पर सरकार उन्हें सवैतनिक अवकाश दे रही है। लेकिन धीरे-धीरे नियमों की गुत्थी सुलझी तो पता चला जो शिक्षक-कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं, उन्हें अपने खाते की पीएल या एचपीएल स्वीकृत करवानी होगी। केवल डॉक्टर के सिक लीव और फिटनेस सर्टिफिकेट से काम नहीं चलेगा। जबकि उन शिक्षक-कार्मिकों को सवैतनिक अवकाश दिया जाएगा, जिनके परिवार का कोई सदस्य कोरोना पॉजिटिव हो जाए। और कर्मचारी को भी होम क्वारेंटाइन में रखा जाएगा।
अब यह जारी हुआ आदेश
सामान्य प्रशासनिक विभाग ग्रुप 5 के विशिष्ट शासन सचिव ने हाल ही आदेश जारी कर यह स्पष्ट किया है कि राजस्थान सेवा नियम 51 के तहत कर्मचारी के स्वयं कोरोना पॉजिटिव होने पर क्वारेंटाइन लीव देय नहीं है। उसे स्वयं के खाते की पीएल या एचपीएल ही लेनी होगी। परिवीक्षाकाल में चल रहे शिक्षकों को अवैतनिक अवकाश पर रहना पड़ेगा। शिक्षक संघ रेस्टा ने इस प्रकार के असवैंधानिक आदेशों का विरोध जताते हुए तुरन्त प्रत्याहरित करने की मांग की है।
संक्रमित शिक्षक को यह होगा आर्थिक नुकसान
किसी शिक्षक का एक दिन का वेतन 1500 मानें तो न्यूनतम 14 दिन के अवकाश के लिये पीएलए अवकाश लेने से 21 हजार रुपए का नुकसान होगा। जबकि प्रोबेशन में चलने वाले शिक्षकों को कोई वेतन नहीं मिलेगा क्योंकि इन शिक्षकों को परिवीक्षाकाल में किसी प्रकार का अवकाश देय नहीं है।
जिले में आज की स्थिति
292 प्रिंसिपल,124 सैकेंडरी हेडमास्टर, 1289 व्याख्याता, 2046 वरिष्ठ अध्यापक,5398 तृतीय श्रेणी अध्यापक,295 प्रबोधक, 574 शारीरिक शिक्षक सहित कुल 10018 शिक्षक विद्यालयों में कार्यरत हंै। जिनमें से लगभग 8 हजार शिक्षकों ने कोरोना संक्रमण काल में सरकार के आदेशों का पालन करते हुए ड्यूटी की है। बावजूद इसके शिक्षा विभाग के कर्मचारियों का वेतन काटा जा रहा है। मार्च में शिक्षकों का 5,3,2 और 1 दिन का वेतन काटा गया व मार्च माह का 16 दिन का वेतन स्थगित किया गया। जिसका भुगतान आज तक नहीं किया है। अब अगस्त में जारी आदेशों के तहत सितम्बर से सेकण्ड ग्रेड व थर्ड ग्रेड शिक्षकों का एक दिन और प्रिंसिपल, लेक्चरर सहित हैड मास्टर का दो दिन का वेतन काटा जा रहा है।
शिक्षकों को उपार्जित अवकाश का भी नहीं मिल रहा लाभ
राज्य सरकार ने उपार्जित अवकाश के नकदीकरण के भुगतान पर भी आदेश जारी कर रोक लगा दी है। वितीय वर्ष में एक शिक्षक को 15 पीएल का नकद भुकतान देय है इस पर रोक लगने से शिक्षकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
कोरोनाकाल में ये काम कराए गए शिक्षकों से
कोरोना काल मे शिक्षकों से होम आइसोलेशन, क्वारेंटाइन सेंटर, खाद्य वितरण, सर्वे, चेक पोस्ट, एयरपोर्ट, रेलवे, बस स्टैंड, बीएलओ, आत्मनिर्भर योजना में राशन डीलर के यहां ड्यूटी आदि।
अब आधार सीडिंग की जिम्मेदारी भी शिक्षकों पर
केंद्र सरकार की वन नेशन वन राशनकार्ड योजनांतर्गत अब शिक्षकों को घर-घर जाकर व राशन डीलर की दुकान पर बैठकर आधार सीडिंग का कार्य भी सौंपा गया है।
इनका कहना
संगठन की तरफ से पहले भी वेतन कटौती के विरोध में राज्य स्तर पर विरोध प्रदर्शन कर ज्ञापन दिए गए है फिर भी राज्य सरकार की ओर से कोरोना संक्रमित शिक्षक का छुट्टी के बदले वेतन काटा जाना इस वैश्विक आपदा की कठिन घड़ी में शिक्षक समाज का मनोबल गिराने का काम किया जा रहा है। शिक्षक वर्ग ने कोरोना काल मे शुरू से ही फ्रंटलाइन वॉरियर्स की भूमिका निभाई है। इसके बदले प्रतिमाह वेतन कटौती का निर्णय निराशाजनक है जो शिक्षक समुदाय बर्दास्त नहीं करेगा। राज्य सरकार को अपने निर्णय पर शीघ्र पुनर्विचार कर आदेशों को प्रत्याहरित करना चाहिए।
राजस्थान सेवा नियमों के मामले में वित्त विभाग का निर्णय ही लागू होता है ।सामान्य प्रशासन ग्रुप 5 को वित्त विभाग के निर्णय के विपरीत निर्णय करने का अधिकार नहीं है।इन लोगों को 21दिन तक का निरोधावकाश देय है अन्य किसी अवकाश का आवेदन इनको नहीं करना चाहिए वरना ये खुद ही अपना नुकसान कर लेंगे।