चूरू. राजस्थान हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेश जारी किए जाने के बावजूद राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से योग्य अभ्यर्थियों को अभी तक नियुक्ति प्रदान नहीं की है। ऐसे में अभ्यर्थी चक्कर लगाते-लगाते परेशान हो गए हैं। ये भर्ती वर्ष 2013 में निकाली गई थी। अभ्यर्थी कृष्ण इसराण राजस्थान लोक सेवा आयोग ने 2 अगस्त 2013 में वरिष्ठ अध्यापक भर्ती-2013 का विज्ञापन कर 21 से 24 फरवरी 2014 के बीच में परीक्षा कराई थी। बाद में आयोग ने परीक्षा की उत्तर कुंजी जारी कर आपत्ति मांगी। सामान्य ज्ञान के प्रश्नों के उत्तर गलत मिलने पर अभ्यर्थियों ने आयोग में अपनी आपत्ति दर्ज कराई। इस पर आयोग ने विशेषज्ञों की टीम के आधार पर द्वितीय उत्तर कुंजी जारी की। लेकिन जब परिणाम जारी किया गया तो आयोग ने एक्सपर्ट की टीम की उत्तर कुंजी जारी कर दी और इसी आधार पर परिणाम को भी जारी कर दिया गया। जिसमें सैकड़ों योग्य अभ्यर्थी नियुक्ति से वंचित रह गए।
न्यायालय में दायर की थी याचिका
नियुक्ति नहीं देने के मामले में 20 दिसम्बर 2014 को याचिका दायर की और आयोग की ओर जारी उत्तर कुंजी का विरोध करते हुए चैलेंज किया। न्यायालय ने 24 अक्टूबर 2015 को अभ्यर्थियों के पक्ष में निर्णय दिया और द्वितीय उत्तर कुंजी के आधार पर परिणाम पुन जारी करने के आदेश दिए। लेकिन आयोग ने इस निर्णय को डीबी में चैलेंज किया। लेकिन ये निर्णय भी अभ्यर्थियों के पक्ष में 27 अक्टूबर 2016 को हुआ।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की थी याचिका
हाइकोर्ट से अभ्यर्थियों को राहत मिलने पर राजस्थान लोक सेवा आयोग मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी 12 जुलाई 2018 को राजस्थान लोक सेवा आयोग कि याचिका को खारिज कर पुन: परिणाम जारी करने के आदेश जारी किए। लेकिन इसके बावजूद अभ्यर्थियों को नियुक्तियां नहीं दी गई।
दस्तावेजों का सत्यापन कर भेजा निदेशालय
आयोग ने मई-जून 2019 में सभी अभ्यर्थियों के दस्तावेजों का सत्यापन कर शिक्षा निदेशालय बीकानेर जुलाई 2019 में भेज दिया। शिक्षा निदेशालय ने 583 पदों कि स्वीकृति के लिए वित्त विभाग से अनुमति के लिए शिक्षा सचिवालय जयपुर को 11 जुलाई 2019 को पत्र लिखा। शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने 5 सितम्बर 2019 को फाईल को स्वीकृति दे दी। शिक्षा निदेशालय ने फिर दूसरा पत्र 18 मार्च 2020 को लिखा लेकिन शिक्षा सचिवालय में बैठ अधिकारियों ने अनुमति नहीं दी।
चक्कर काटते हुए परेशान
अभ्यर्थियों की ओर से अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। उन्हें यह समझाने के लिए कि व्याख्याता भर्ती ग्रेड-1 और वरिष्ठ अध्यापक भर्ती ग्रेड-2 अगल-अलग है। शिक्षामंत्री द्वारा 5 सितम्बर 2019 को फाईल को स्वीकृत करने के पश्चात जब हम शिक्षा सचिवालय शिक्षा सचिव मंजू राजपाल और अन्य अधिकारियों से मिले तो उन्होंने कहा कि आप कि भर्ती अभी कोर्ट में चल रही है।
सचिवालय में चक्करघिन्नी मामला
बेरोजगार अभ्यर्थियों ने पहले 5 साल तो आयोग की गलती का खमियाजा भुगता और फिर कोर्ट से फैसला हुआ और परिणाम आया तो अब सचिवालय के अधिकारियों के चक्कर लगाने को मजबूर है। की ओर से फाइल को स्वीकृति नहीं दी जा रही है। चक्कर काटते हुए लाखों रुपए खर्च कर दिए लेकिन मामले का हल नहीं निकल सका। ऐसे में अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी नहीं मान रहे हैं।