कर्नाटक. कर्नाटक की राजनीति में आया सियासी तूफान पर भी शीर्ष नेतृत्व ने विराम लगा दिया है। बसवराज सोमप्पा बोम्मई कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री होंगे। मंगलवार शाम बंगलूरू में हुई भाजपा विधायक दल की बैठक लंबी मंत्रणा के बाद केंद्रीय मंत्री और पार्टी पर्यवेक्षक धर्मेंद्र प्रधान ने उनके नाम की घोषणा कर दी। 61 साल के बोम्मई लिंगायत समुदाय से आते हैं। वे राज्य के गृह मंत्री हैं। भाजपा ने लिंगायत समुदाय से इसलिए चुना है कि भाजपा इस समुदाय की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती। सियासी उलटफेर में ये समुदाय अहम भूमिका रखता है। बोम्मई लिंगायत समुदाय के नेता हैं। 224 में से 100 विधानसभा सीटें ऐसी है जिन पर इस जाति का सीधा असर है। इस समुदाय को भाजपा का परंपरागत वोटा माना जाता है। पिछली बार 55 विधायक इसी समुदाय से चुने गए थे। येदियुरप्पा पर 2011 में भ्रष्टाचार के आरोप लगे और उन्हें मुख्यमंत्री पद छोडऩा पड़ा था। 2012 में उन्होंने भाजपा से अलग होकर कर्नाटक जनता पक्ष नाम की पार्टी बनाई। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); 2013 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा को सीधी चुनौती दी। इस कारण लिंगायत वोटर बंट गए और भाजपा को 70 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। उसे महज 40 सीटें ही मिल पाई थीं। जब येदियुरप्पा पार्टी में लौटे तो भाजपा को फायदा हुआ और उसने 2018 के चुनाव में 104 सीटें जीत लीं। दूसरा अहम कारण ये माना जा रहा है कि बोम्मई येदियुरप्पा के भरोसेमंद हंै। गृह मंत्री होने के नाते सरकार में उनकी नंबर दो की हैसियत रही। मंगलवार को भाजपा विधायक दल की बैठक शुरू होने से पहले बोम्मई ने येदियुरप्पा से चर्चा की। करीब बीस मिनट की चर्चा के बाद जब विधायक दल की बैठक शुरू हुई तो येदियुरप्पा ने ही उनके नाम का प्रस्ताव रख दिया।
तीन मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा सके हैं
कर्नाटक के सियासी हलके में उथल-पुथल रही है। सिर्फ निजलिंगप्पा (1962-68), देवराज उर्स (1972-77) और सिद्धारमैया (2013-2018) पांच साल का कार्यकाल पूरा कर सके हैं। येदियुरप्पा चार बार सीएम रहे, लेकिन वे अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। 2007 में उन्हें जनता दल सेक्युलर के समर्थन वापस लेने के बाद सात दिन में इस्तीफा देना पड़ा। दूसरी बार वे तीन साल सत्ता में रहे, लेकिन 2011 में भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया और सदानंद गौड़ा को सीएम बनाया गया। 2018 में बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण उन्हे छह दिन में मुख्यमंत्री पद छोडऩा पड़ा था। 2019 में उन्होंने वापसी की और अब दो साल पूरे होते ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
बोम्मई तीन साल में चौथे मुख्यमंत्री
2018 से 2021 के बीच कर्नाटक को चौथा मुख्यमंत्री मिलने वाला है। मई 2018 में येदियुरप्पा ने छह दिन, मई 2018 से जुलाई 2019 के बीच एचडी कुमारस्वामी ने एक साल 61 दिन और फिर जुलाई 2019 से जुलाई 2021 के बीच येदियुरप्पा ने दो साल दो दिन सरकार चलाई। अब बोम्मई मुख्यमंत्री होंगे। राज्य में अगले चुनाव 2023 में होने हैं। भाजपा ने लिंगायत समुदाय के व्यक्ति को सीएम बनाकर समुदाय को साधने की कोशिश की है क्योंकि आगामी चुनाव में भाजपा किसी तरह का खतरा मोल नहीं लेना चाहती है। बोम्मई कितना सफल हो पाते हैं ये तो भविष्य के गर्भ में है। लेकिन इतना तय है कि येदियुरप्पा अपने सबसे भरोसेमंद व्यक्ति को सीएम बनाने में सफल जरूर रहे हैं।

Author: indianews24
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