नई दिल्ली. कोरोना संक्रमण से हुई मौतों को लेकर आए दिन अध्ययन किए जाकर नए-नए दावे किए जा रहे हैं। ये दावे सरकारी आंकड़ों पर सवार उठा रहे हैं। भारत में सरकारी आंकड़ों के हिसाब से भले 04 लाख 20 हजार से अधिक मौतें दर्शाई गई हों, लेकिन एक अध्ययन में दावा किया है कि भारत में कोरोना की दोनों लहर के दौरान 27-33 लाख लोगों की मौतें हुई हैं। टोरंटो विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर ग्लोबल हेल्थ रिसर्च के डा. प्रभात झा और डार्टमाउथ कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग के डॉ. पॉल नोवोसाद की ओर से लिखित एक अध्ययन में ये अनुमान लगाया है।
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); अध्ययन आठ राज्यों व सात शहरों की मृत्युदर पर आधारित
यह अध्ययन जून 2020 और 2021 के बीच आठ राज्यों और सात शहरों में दर्ज अधिक मृत्यु दर पर आधारित है। इसी की गणना के आधार पर अध्ययन में मौतों का अनुमान लगाया गया है। 2020 में महामारी की पहली लहर के दौरान दर्ज की गई औसत अतिरिक्त मृत्यु दर 22 प्रतिशत थी। इस दौरान आंध्र प्रदेश में 63 से लेकर केरल में 6 प्रतिशत तक मृत्युदर थी, जो इस साल अप्रैल और जून के बीच महामारी की दूसरी लहर के दौरान बढकऱ 46 प्रतिशत हो गया और मध्यप्रदेश में सबसे अधिक 198 प्रतिशत तक मृत्युदर दर्ज की गई। पिछले वर्षों की तुलना में 2020 और 2021 में किसी कारण से होने वाली मौतों की संख्या के बीच का अंतर अधिक मृत्यु दर को बढ़ाता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इनमें से अधिकतर अतिरिक्त मौतें कोविड-19 के कारण हुई हैं।
इसके समकक्ष-रिव्यू अध्ययन, जिसे हाल ही में मेडरेक्सिव पर अपलोड किया था, वह नागरिक पंजीकरण प्रणाली पर अधिक मृत्युदर के आंकड़ों जो सभी जन्म और मृत्यु को रिकॉर्ड करता है, और स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली के माध्यम से एकत्र किए कई स्वास्थ्य संस्थानों के आंकड़ों और एक टेलीफोनिक सर्वेक्षण पर आधारित है।
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); रिपोर्ट में दावा 34 से 49 लाख मौतें
अमेरिकी रिपोर्ट में कुछ दिन पहले ही दावा किया था कि भारत में कोरोना से 34 से 49 लाख लोगों की मौतें हुई हैं। यह संख्या भारत सरकार के आंकड़ों से 10 गुना से ज्यादा है। रिपोर्ट को तैयार करने वालों में चार साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यन भी शामिल हैं।
घरों में किए सर्वे को बनाया आधार
वाशिंगटन के अध्ययन संस्थान सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट की ओर से जारी रिपोर्ट में सरकारी आंकड़ों, अंतरराष्ट्रीय अनुमानों, सेरोलॉजिकल रिपोर्टों और घरों में किए गए सर्वे को आधार बनाया गया है। अरविंद सुब्रमण्यन, अभिषेक आनंद और जस्टिन सैंडफर ने दावा किया है कि मृतकों की वास्तविक संख्या कुछ हजार या लाख नहीं दसियों लाख है। गौरतलब है कि भारत सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों पर पहले भी संशय जताया गया है। अमेरिकी अध्ययन में कहा गया है कि भारत में जनवरी 2020 से जून 2021 के बीच कोविड-19 से लगभग 50 लाख लोगों की मृत्यु हुई है, जिससे यह विभाजन और स्वतंत्रता के बाद से देश की सबसे बड़ी मानव त्रासदी बन गई है।
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