चूरू. केंद्र सरकार द्वारा संसद के वर्तमान सत्र में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक लाए जाने के विरोध में यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आवाहन पर आज दूसरे दिन अधिकारी और कर्मचारियों ने देशव्यापी हड़ताल की। हड़ताली कर्मचारी प्रातः 11:00 बजे भारतीय स्टेट बैंक मुख्य शाखा लाल घंटाघर के पास, सामने एकत्रित हुए जहां उन्होंने निजीकरण के विरोध में नारेबाजी की। हड़ताल में सहायक महाप्रबंधक से लेकर सफाई कर्मचारी तक शामिल रहे। आंदोलनकारियों को यू एफ बी यू से जुड़े संगठन एआईबीए, इनबॉक, ए आई बी ओ ए, एनसीबीई, बैफी तथा इनबॉक् के नेताओं ने संबोधित संबोधित किया। सभी ने एक स्वर में इस बात की मांग रखी कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक जिनमें 157 लाख करोड़ रूपया आम जनता का जमा है उसका कस्टोडियन कौन होगा? क्योंकि पूर्व में भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से बड़े कॉरपोरेट्स ने करोड़ों रुपया उधार लिया जिसे आज तक नहीं चुकाया। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक जो केंद्र सरकार की जन् समर्थित नीतियों को लागू करते हैं उनका निजीकरण के बाद क्या होगा? बैंकों द्वारा वितरित की जाने वाली पेंशन तथा छोटे बचत वाले खाते क्या भविष्य में भी जारी रह सकेंगे? यह भी एक ज्वलंत प्रश्न है।
सभा को संयोजक जयंत परिहार के अतिरिक्त श्याम सुंदर सैनी, सावताराम इसराण , सुंदरलाल गहलोत, संजय कुमार बरवड ने संबोधित किया। यूनाइटेड फोरम बैंक यूनियन की सयोजक जयंत परिहार व AIOBC के क्षेत्रीय सयोजक श्याम सुंदर सैनी ने बताया कि आज पूरे जिले में मुकम्मल हड़ताल के साथ प्रदर्शन का आयोजन किया गया।आज की हड़ताल से 800 करोड का कारोबार बाधित रहा तथा 200 शाखाओं में कार्यरत सहायक महाप्रबंधक से लेकर सफाई कर्मचारी तक हड़ताल पर रहे। सार्वजनिक क्षेत्र के 250 एटीएम में से जो खाली हो गए उनमें कैश दोबारा नहीं डाला जा सका।इस अवसर पर शकील खान, विपिन गहलोत, नंदकिशोर दर्जी ,सुधीर धनेवा, सुरेश बुरानिया , महेश सिंह राठौड़, अजय पवार, सलीम खान , विकास गहलोत ,आलोक कुमार ,पवन कुमार हरिजन, दिनेश पाल सिंह राठौड़, फूलाराम मीणा राजकुमार इंदोरिया, बबलू, दयाल सिंह , मुकेश परिहार मुकेश कुमार ,राजेश धूत योगेश राजपुरोहित , संजीव कुमार ,सतपाल जोशी, राजीव, चिरंजीलाल ,सुधाकर सैनी जय प्रकाशसैनी , मदन लाल सैनी, हेमंत चाहर, देवेंद्र शर्मा , मनोज प्रजापत, रूपनारायण सुरोलिया गिरजा शंकर सैनी, धनराज सैनी , शेरसिंह गहलोत सहित एकत्रित होकर सरकार की निजी करण विरोधी नीतियों के खिलाफ में प्रदर नारेबाजी की। आंदोलनकारियों को केंद्रीय श्रमिक संगठनों के नेतागण भी संबोधित किया।