मनीष शर्मा
जयपुर. Rajasthan Election 2023: शेखावाटी के तारानगर और लक्ष्मणगढ़ विधानसभा सीट इन दिनों हॉट सीट के रूप में जानी जा रही है। यहां के बढ़े मतदान प्रतिशत ने दिग्गजों की नींद उड़ा दी है। हालांकि ये सब तस्वीर तीन दिसंबर को साफ हो जाएगी कि ताज किसके सर होगा, लेकिन फिलहाल पूरे प्रदेश की नजर तारानगर और लक्ष्मणगढ़ विधानसभा पर टिकी है। इन दोनों सीटों पर मतदान जोरदार हुआ है। लक्ष्मणगढ़ सीट पर 76.47 और तारानगर में 82.30 प्रतिशत मतदान हुआ है। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्रसिंह राठौड़ की हार- जीत को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कोई इसे एंटी इन्कम्बेंसी तो कोई इसे प्रो इन्कम्बेंसी वेव के तौर पर देख रहा है। या फिर यूं कहां जाए कि ये अंडर करंट है या फिर चिरंजीव भव। ये तो भविष्य पर निर्भर है लेकिन बढ़े मतदान प्रतिशत से दिग्गजों के भी होश उड़े हुए हैं। 2018 के चुनाव की की बात करें तो मतदान प्रतिशत बढऩ़ा राजेंद्र राठौड़ के लिए फायदेमंद रहा है। वहीं, डोटासरा के लिए मतदान की बढ़त- घटत दोनों ही लाभदायक रही है। दोनों स्थितियों में उनके मत प्रतिशत के साथ जीत के अंतर का ग्राफ लगातार बढ़ा ही है।
डोटासरा मत प्रतिशत व जीत का अंतर बढ़ा
लक्ष्मणगढ़ के पिछले चुनावों के ट्रेंड के अनुसार मतदान प्रतिशत की घटत- बढ़त दोनों ही गोविंद सिंह डोटासरा के लिए फायदेमंद रही है। 2003 के चुनावों में लक्ष्मणगढ़ में 68.22 प्रतिशत मतदान होने पर भाजपा के केडी बाबर विधायक बने थे। 2008 में मतदान घटकर 65.93 प्रतिशत हुआ तो डोटासरा ने 24.70 प्रतिशत मत हासिल कर 34 वोटों से अपना पहला चुनाव जीता। 2013 में मतदान बढकऱ 75.07 प्रतिशत हुआ तो उनका मत प्रतिशत 34.32 फीसदी के साथ जीत का अंतर 10 हजार 723 हो गया था। इसी प्रकार 2018 में मतदान घटकर 74.28 प्रतिशत हुआ तो भी उनका मत प्रतिशत 57.78 फीसदी तक पहुंचा जो उनके लिए 22 हजार 102 मतों से जिताने वाला साबित हुआ है।
वोटिंग बढ़ने से राठौड़ को मिला फायदा
चुनावी आंकड़ों पर गौर किया जाए तो मतदान प्रतिशत बढऩा अब तक भाजपा के दिग्गज नेता राजेंद्र राठौड़ के पक्ष में ही रहा है। 1998 में चूरू में 72.56 प्रतिशत मतदान हुआ। राठौड़ ने 52.56 फीसदी मत प्राप्त किए और 6278 मतों से जीत हासिल की। 2003 में मतदान घटकर 71.91 हुआ तो उनका मत प्रतिशत घटा और ये 48.55 फीसदी पर आ गया। हालांकि जीत का अंतर 7925 हो गया। इसी तरह चूरू में 2013 में मतदान फिर बढ़कऱ 78.77 प्रतिशत हुआ तो 6.66 प्रतिशत मतों की बढोतरी के साथ वे 55.21 प्रतिशत मत हासिल कर 24002 मतों से जीते। 2018 में मतदान घटकर 77.88 फीसदी हुआ तो फिर उनके मत प्रतिशत में 6.93 फीसदी की कमी आई, इस कारण उनकी जीत का अंतर भी 1850 रह गया।
तारानगर का ट्रेंड: मतदान बढऩे पर भाजपा को फायदा
तारानगर विधानसभा के पिछले चार चुनावों पर गौर किया जाए तो यहां भी मतदान प्रतिशत बढऩा भाजपा, घटना कांग्रेस के लिए फायदेमंद रहा है। 2003 में 74.82 फीसदी मतदान रहने पर कांग्रेस के डा. चंद्रशेखर बैद विजयी हुए थे। 2008 में मतदान बढकऱ 77.43 फीसदी होने पर राजेंद्र राठौड़ ने बैद को हराया। 2013 में मत प्रतिशत फिर बढकऱ 77.71 प्रतिशत पहुंचा फिर भाजपा के प्रत्याशी जयनारायण पूनिया ने बैद को पराजित करने में सफलता हासिल की थी। 2018 की बात करें तो यहां मत प्रतिशत घटकर 75.15 प्रतिशत हुआ तो तारानगर में फिर कांग्रेस के नरेंद्र बुडानिया ने भाजपा के राकेश जांगिड़ को हराकर जीत का सेहरा अपने सिर बांध लिया था।
मुकाबला कड़ा, तीन का इंतजार
प्रदेश में इस बार लक्ष्मणगढ़ व तारानगर दोनों सीट हॉट है। यहां पर भाजपा व कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच मुकाबला बेहद नजदीकी का और कड़ा माना जा रहा है। इसमें जीत का ऊंट किस करवट बैठेगा ये तो तीन दिसंबर तय करेगा लेकिन जनता ने दिग्गजों की तकदीर को ईवीएम में बंद कर दिया है।