चूरू. बार-बार बिजली की ट्रिपिंग के कारण कई बार परेशानियों का सामना करना पडता है। बात मेडिकल से जुड़ी हो तो ये बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती है। लेकिन अब इस व्यवस्था में बदलाव होने वाला है। मेडिकल कॉलेज व इससे संबद्ध राजकीय भरतिया अस्पताल पर महंगी बिजली का आर्थिक भार बहुत ज्यादा है। इसका कारण यह है कि अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट सहित बड़ी मशीनें बिजली से संचालित हो रही है। अकेले राजकीय भरतिया प्रशासन को हर माह औसतन 15 से 16 लाख रुपए बिजली के बिल के चुकाने पड़ रहे हैं। लेकिन चूरू सहित प्रदेश के सभी 18 मेडिकल कॉलेज व इससे संबद्ध अस्पतालों में सौर उर्जा उपकरण लगाए जाएंगे। जिससे बार-बार बिजली जाने का झंझट ही नहीं रहेगा। जनरेटर की भी जरूरत महसूस नहीं होगी।
एमओयू पर हस्ताक्षर
अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर हनुमान जयपाल ने बताया कि इससे प्रदेश में हर माह करीब 26.5 लाख यूनिट उर्जा का उत्पादन हो सकेगा। सालाना दस करोड रुपए से ज्यादा के राजस्व की बचत होगी। हाल ही में चिकित्सा शिक्षा विभाग व आरईआईएल के बीच इसको लेकर एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत मेडिकल कॉलेज व उससे सम्बद्ध चिकित्सालयों के भवनों पर रेस्को मॉडल के तहत रूफटॉफ सौलर प्लांट लगाए जाने प्रस्तावित हैं। इसके लिए राजस्थान इलेक्ट्रानिक्स एंड इंस्टूमेंटस लिमिटेड के साथ एमओयू किया गया है।
इस समझौते पर चिकित्सा शिक्षा विभाग की और से आयुक्त शिवांगी स्वर्णकार व राजस्थान इलेक्ट्रानिक्स एंड इंस्टूमेंटस लिमिटेड के अधिकारियों के बीच हस्ताक्षर किए गए हैं। एमओयू के अनुसार राजस्थान इलेक्ट्रानिक्स एंड इंस्टूमेंटस लिमिटेड की ओर से ई रिवर्स ऑक्शन से चयनित एजेन्सी 4.05 रुपए प्रति यूनिट की दर से मेडिकल कॉलेज व अस्पताल को बिजली मुहैया कराएगी।
25 सालों के लिए लागू होगा रेट
सबसे बड़ी बात यह है कि उक्त दर आगामी 25 सालों के लिए स्थिर रहेगी. ये रूफटॉफ सोलर प्लांट रेस्को मॉडल पर लगाए जाएंगे। इससे विभाग व सम्बद्ध अस्पतालों पर कोई वित्तीय भार नहीं पड़ेेगा। इससे एक तरफ जहां कॉलेज व अस्पताल पर बिजली के बिल का खर्चा बच सकेगा व बिजली का उत्पादन भी हो सकेगा।