जयपुर. राजस्थान के डॉक्टर्स को अब मंहगाई की चिंता सताने लगी है। इसके चलते मेडिकल टीचर्स ने घर पर परामर्श देने के लिए राज्य सरकार से परामर्श शुल्क बढ़ाने की मांग की है। डॉक्टर्स ने प्राइवेट सर्जिकल प्रोसिजर करने की भी अनुमति देने की मांग रखी है। डॉक्टर्स का कहना है कि राज्य सरकार ने साल 2011 में परामर्श फीस निर्धारित की थी, लेकिन उसके बाद अब तक उसमें कोई बढ़ोतरी नहीं की है। उन्होंने कहा कि घर में सर्जिकल प्रोसेजर करने की भी अनुमति दी जानी चाहिए।
जानकारी के अनुसार अगर आप किसी डॉक्टर से घर पर परामर्श लेने जाते हैं तो उसकी फीस निर्धारित है। राज्य सरकार के अनुसार अगर कोई मरीज किसी सहायक प्रोफेसर के घर कंसल्टेंट के लिए जाता है तो उसकी फीस सिर्फ 100 रुपये निर्धारित है। इसी तरह एसोसिएट प्रोफेसर की 125 रुपये, प्रोफेसर की 150 रुपये और सीनियर प्रोफेसर की 200 रुपये फीस तय है, लेकिन अब डॉक्टर्स को मंहगाई कि चिंता सता रही है। लिहाजा उन्होंने इस परामर्श शुल्क को बढ़ाने की मांग की है। अपनी इस मांग को लेकर मेडिकल टीचर्स ने आंदोलन भी शुरू कर दिया है।
कमेटियों की सिफारिशों को लागू नहीं किया
डॉ. राकेश जैन ने बताया कि साल 2011 के बाद से अब तक परामर्श शुल्क नहीं बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि घर में सर्जिकल प्रोसेजर करने की अनुमति दी जानी चाहिए। डॉक्टर्स का कहना कि इस मामले में सरकार ने पूर्व में दो कमेटियां बनाई थी। दोनों ही कमेटियों ने फीस बढाने की सिफारिश की थी, लेकिन सरकार ने अब तक उन कमेटियों की सिफारिशों को लागू नहीं किया है।
फीस को डीए के साथ जोड़ दिया जाए
डॉक्टर्स का तो यहां तक कहना है कि भविष्य में फीस को डीए के साथ जोड़ दिया जाना जाए ताकि हर साल जिस प्रकार से डीए बढ़ता है उसी अनुपात में फीस में भी बढ़ोतरी की जा सके। इसके अलावा राजस्थान मेडिकल एजुकेशन सर्विसेज के पृथक कैडर के गठन, एकेडमिक अलाउंस में रिवीजन और हाई रिस्क अलाउंस समेत अन्य मांगें भी सरकार से की गई है।
