जयपुर.जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 2019 में आतंकवादी हमले में शहीद हुए राजस्थान के 3 सीआरपीएफ जवानों की वीरांगनाओं का 8 दिनों से राजधानी में विरोध प्रदर्शन और धरना जारी है। लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। बीते सोमवार को वीरांगनाओं ने पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट से उनके आवास पर मुलाकात की। जिसके बाद से वह पायलट के घर के बाहर धरने पर बैठ गई। पुलवामा शहीदों की तीनों वीरांगनाओं की मांग है कि जब तक तीनों वीरांगनाओं की मुलाकात गांधी परिवार में किसी से नहीं हो जाती वह पायलट के बंगले के बाहर धरने पर बैठी रहेंगी। वे मुख्यमंत्री से मिलने की भी मांग कर चुकी है लेकिन उनकी सुनवाई नहीं की गई है। लेकिन इस मसले में बचाव करते हुए उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने मीडिया में कहा कि सरकार जो भी मदद होगी वो करने के लिए तैयार है। उनकी मांगों पर विचार किया जा रहा है।
दरअसल सोमवार को पायलट से मुलाकात करने के बाद से ही शहीद हुए रोहताश लांबा की पत्नी मंजू, शहीद हेमराज मीणा की पत्नी मधुबाला मीणा और जीतरात गुर्जर की पत्नी सुंदरी देवी धरने पर बैठी हुई है। सोमवार देर शाम सचिन पायलट ने इस मामले में मुख्यमंत्री गहलोत को एक पत्र लिखकर उनकी मांगों पर विचार करने की अपील करते हुए वीरांगनाओं की मांगों से अवगत कराया। वहीं पायलट ने सीएम को पुलिस के बर्ताव की भी जानकारी दी है।
अब गांधी परिवार को सुनाएंगे अपनी मांग
पायलट के बाहर बैठी वीरांगना मंजू जाट का कहना है कि यहां सरकार में हमारी सुनवाई नहीं हो रही है इसलिए अब हमनें तय किया है कि हम सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात कर वहां ही अपनी मांगें रखना चाहते हैं। वीरांगना मंजू ने कहा कि हमें सचिन पायलट से उम्मीद है कि वह हमें गांधी परिवार से मिलवा सकते हैं। इसलिए हम उनके घर के बाहर बैठे हैं। गौरतलब है कि पायलट ने सोमवार को वीरांगनाओं से मुलाकात की थी और उनकी मांगों पर कार्रवाई करवाने का आश्वासन दिया था। इधर भाजपा के राज्यसभा सांसद डॉ किरोड़ीलाल मीणा ने मंगलवार को दावा किया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीरांगनाओं की मांगों की जानकारी लेकर उन्होंने आश्वस्त किया है कि वह मुख्यमंत्री से बात कर समाधान निकालेंगे।
किन मांगों पर बैठी हैं वीरांगनाएं
गौरतलब है कि पुलवामा शहीदों की तीन वीरांगना में से मंजू जाट और सुंदरी देवी अपने देवर के लिए सरकारी नौकरी की डिमांड कर रही है। जिस पर सरकार का कहना है कि उनके देवर को नौकरी देने का प्रावधान नहीं है। वहीं शहीद हेमराज मीणा की पत्नी का कहना है कि कोटा के सांगोद में चौराहे पर भी उनके पति की मूर्ति लगाई जाए और एक स्कूल का नामकरण शहीद के नाम पर किया जाए। जिस पर सरकार का कहना है कि कार्यवाही चल रही है।