रायपुर. कांग्रेस पार्टी ने कांग्रेस महाधिवेशन में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। पार्टी संगठन के सभी पदों पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, महिलाओं, युवाओं और अल्पसंख्यकों को 50 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लिया है। यह संविधान संशोधन रायपुर में पार्टी के 85वें महाधिवेशन में किया गया। पार्टी ने कहा कि यह फैसला सामाजिक न्याय के एक नए अध्याय की शुरुआत है। कांग्रेस के बयान के अनुसार उदयपुर शिविर में प्रतिपादित 50 अंडर 50 की अवधारणा को संविधान में शामिल किया है। कांग्रेस ने अपने संविधान में कुल 85 संशोधन किए हैं। यह भी कहा है कि 1 जनवरी 2025 से कांग्रेस में अब केवल डिजिटल सदस्यता ही होगी।
रायपुर के कांग्रेस महाधिवेशन में संशोधित पार्टी के संविधान के मुताबिक कांग्रेस कार्य समिति में अब लोकसभा और राज्यसभा दोनों में कांग्रेस के नेताओं के अलावा पार्टी के पूर्व प्रधानमंत्रियों और पूर्व एआईसीसी प्रमुखों को भी शामिल किया जाएगा। सीडब्ल्यूसी सदस्यों की संख्या पहले के 23 से बढ़कर 35 हो जाएगी। जिसमें 18 सदस्य चुने जाएंगे और 17 मनोनीत किए जाएंगे। कांग्रेस के 85वें महाधिवेशन के दौरान पार्टी ने अपना राजनीतिक प्रस्ताव भी जारी किया। जिसमें उसने घृणा अपराधों के खिलाफ एक कानून लाने, नागरिकों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा के अधिकार की गारंटी देने, जम्मू और कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा किया है।
कांग्रेस के राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया है कि इस साल 9 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव भारत के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसलिए भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को हराने के लिए वैचारिक आधार पर विपक्ष के एकजुट होने की तत्काल जरूरत है। बयान में कहा कि कांग्रेस पार्टी पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को विशेष श्रेणी का दर्जा बहाल करेगी। कांग्रेस के इस मसौदा प्रस्ताव में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर भारी हमला किया और उस पर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप भी लगाया है। कांग्रेस ने कहा कि भाजपा की सरकार ने ईडी, एनआईए, सीबीआई और आईटी जैसी केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से अपने राजनीतिक विरोधियों को डराने और दबाने का काम कर रही है।