चूरू. अंचल में पिछले कुछ दिनों से सुनाई दे रही शहनाई की धुन पर अब कुछ समय के लिए ब्रेक लग गया है। पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि 27 फरवरी से होलाष्टक शुरू हो चुका है। होली पर्व 6 मार्च को है। होली के 8 दिन पूर्व होलाष्टक शुरू हो जाते हैं। इसके लगने से इन दिनों में शादी, विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार आदि मांगलिक कार्य नहीं होते। होलाष्टक में नवग्रह उग्र होते हैं, अत: इन दिनों कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करना वर्जित माना गया है।
पंडित मिश्रा के अनुसार रंगों का पर्व होली 6 मार्च को चतुर्दशी युक्त पूर्णिमा में मनाया जाएगा। होलिका दहन सायंकाल 6:28 से 6:38 के बीच करना शास्त्र सम्मत रहेगा। इसके अलावा पूरे दिन भद्रा रहेगी। पंडित मिश्रा ने बताया कि होली हिंदी संवत्सर का आखिरी बड़ा त्यौहार होता है। दीपावली पहला बड़ा त्यौहार होता है। जिस वार की दीपावली आती है, उसी वार की होली भी आती है। इस बार दीपावली सोमवार को आई थी तो होली भी सोमवार को ही मनेगी।
होली खेड़ा में होली का दहन 6 मार्च को
सांस्कृतिक मंडल की ओर से राजकीय होलिका दहन 6 मार्च को शाम 6:30 बजे होली खेड़ा में किया जाएगा। मंडल के संयुक्त मंत्री जानकी प्रसाद इंदौरिया ने बताया कि सायंकाल 6:00 बजे रघुनाथ जी के मंदिर से होली का शाही दल बैंड बाजे से रवाना होकर होली खेड़ा पहुंचेगा और 6:30 बजे वहां पर होलिका दहन का कार्यक्रम किया जाएगा। राजकीय होलीका दहन की परम्परा राज घराने से चली आ रही है। पहले राजपरिवार करता था अब ये कार्य इसको सांस्कृतिक मंडल करता है।