चंडीगढ़. दिल्ली-देहरादून मार्ग को सुशील कुमार से बेहतर कम लोग जानते हैं, जो एक दशक से हर दूसरे दिन हाइवे पर होते हैं। हरियाणा रोडवेज के ड्राइवर को हरिद्वार-पानीपत रूट की जिम्मेदारी मिले एक माह से अधिक समय हो गया है। जिनका सफर पवित्र शहर हरिद्वार से सुबह 4 बजकर 25 मिनट पर शुरू होता है। शुक्रवार को भी वो इसी समय पर हरिद्वार से निकले। वो रुड़की में नारसन सीमा के पास पहुंचे तो उन्होंने तेज गति से एक कार को डिवाइडर से टकराते देखा। उन्होंने टक्कर से बचने के लिए अपनी बस को सुरक्षित पार्क कर दिया और बस के कंडक्टर परमजीत के साथ क्षतिग्रस्त कार के अंदर फंसे व्यक्ति को बचाने के लिए बाहर निकले। सुशील को इसका अंदाजा नहीं था कि वह जिस व्यक्ति को कार से बाहर निकाल रहे हैं वह स्टार विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋषभ पंत हैं। सुशील ने बताया कि मुझे बस इतना पता था कि उस आदमी को बचाना जरूरी था। मेरे लिए यह अंतरात्मा की पुकार थी। अगर मैंने जवाब देने में देर की होती तो कार में विस्फोट हो जाता। मैं हाईवे पर रहता हूं। अगर मैं मदद नहीं करूंगा, तो कौन करेगा?
पहले भी कर चुके हैं लोगों की मदद
ऐसा पहली बार नहीं था जब 42 वर्षीय सुशील कुमार ने किसी की मदद के लिए हाथ बढ़ाया हो। जब 2020 में कोविड का प्रकोप हुआ, तो उन्होंने उन प्रवासी श्रमिकों को घर छोडऩे की पेशकश की थी, जिन्होंने लंबी पैदल यात्रा शुरू की थी। 2008 में, उन्होंने हरियाणा रोडवेज में ड्राइवर के पद के लिए आवेदन किया और मेरिट लिस्ट में जगह बनाई। नियुक्ति पत्र, हालांकि, उन्हें इंतजार करवाता रहा। थके और निराश होकर, कुमार ने 2012 में सऊदी अरब में एक निजी ड्राइवर के रूप में नौकरी की। दो साल बाद, जब सरकार ने भर्ती सूची की घोषणा की तो वह अपनी सपनों की नौकरी पर लौट आया।
मेरा पहला मकसद बस के यात्रियों को बचाना था: सुशील
एक दशक पुराने अनुभव के साथ सुशील जानते हैं कि अल सुबह का समय होता है तब ड्राइवरों को अपनी आंखें खुली रखने में मुश्किल होती है। शुक्रवार को वह 33 लोगों को बस में ले जा रहे थे। तभी सामने से एक मर्सिडीज कार अनियंत्रित हो गई है। सुशील ने बताया कि मुझे पता था कि कार दुर्घटनाग्रस्त होने वाली थी। तो, मैं धीमा हो गया। मेरा पहला मकसद टक्कर से बचने और बस में यात्रियों को बचाने का था।
