बाड़मेर. पश्चिम राजस्थान के बाड़मेर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 2 करोड़ की लागत से लवकुश वाटिका विकसित की जा रही है। इसको लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई है। मार्च के अंतिम सप्ताह तक आमजन के लिए इस वाटिका को खोला जाएगा। इसमें सबसे खास बात ये है कि जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क की तरह इसको विकसित किया है।
पाकिस्तान की सीमा से सटे बाड़मेर जिले में अब टूरिज्म को और अधिक पंख लगेंगे। बाड़मेर शहर से 25 किलोमीटर दूर स्थित जूना बाड़मेर की पहाडिय़ों पर 2 करोड़ की लागत से नाहरगढ़ के बायोलॉजिकल पार्क की तरह विकसित किया जा रहा है। पहाडिय़ों के बीच बसे 700 साल पुराने गांव को देख आज भी किले, दीवारें और पुराने खंडहर बाड़मेर के इतिहास का चित्रण सामने आ जाता है। पहाडिय़ों के बीच साफ-सफाई के बाद यहां वन विभाग दो हजार पौधे लगाकर लवकुश वाटिका का निर्माण किया जा रहा है।
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31 मार्च तक पूरा हो जाएगा काम
जिला कलेक्टर लोकबंधु यादव ने बताया कि अब तक लवकुश वाटिका में 1 करोड़ 78 लाख रुपये खर्च किए जा चुके है। आगामी 31 मार्च तक काम पूरा कर लिया जाएगा। जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क की तरह विकसित किया जाएगा। ताकि ये क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से मजबूत बन सके।
10 हैक्टेयर जमीन पर हो रहा काम
वन विभाग की 10 हैक्टेयर जमीन पर 2 करोड़ की लागत से लवकुश वाटिका का निर्माण किया जा रहा है। लवकुश वाटिका में वॉच टावर, नेचर पाथ, इन्टरप्रिटेशन सेंटर, एनीकट, झोंपे बनाए जाएंगे. साथ ही वाटिका में सड़कों का कायाकल्प किया जाएगा। इसके साथ ही प्राचीन घर, जल स्त्रोत और किले की दीवारों का रख-रखाव कर विकसित किया जा रहा है।
जल्द ही लवकुश वाटिका आमजन के लिए भी खोल दी जाएगी। इससे पर्यटको को पहाडिय़ों में सुकून मिलेगा। सबसे खास बात यह है कि इसमें वेस्ट से बेस्ट तरीकों को अपनाया है और आकर्षक बनाया है। जिला कलेक्टर यादव, उपवन सरंक्षक संजय प्रकाश भादू सहित प्रशासनिक अधिकारियों ने लवकुश वाटिका का निरीक्षण कर जल्द कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद इसे पर्यटन के लिए समर्पित कर दिया जाएगा।