भीलवाड़ा. शादी के पल को हमेशा के लिए यादगार बनाने के लिए कुछ न कुछ नया किया जाता रहा है। सोशल मीडिया पर अमूमन ये देखने को भी मिल जाता है। कुछ ऐसी ही यादागार शादी देखने को मिली। जिसमें वर और वधु ने न तो फेरे लिये, न रस्में अदा की और न ही कोई शुभ मुहूर्त देखा। ये अनोखी शादी भी राजस्थान के भीलवाड़ा में हुई है। जिसकी चर्चा चारों ओर है। ये शादी भी बाबा साहेब आंबेडकर को आदर्श और संविधान को साक्षी मानकर की गई है। संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की 132वी जयंती पर भीलवाड़ा जिले के बागोर कस्बे में एक पिता ने अपनी बेटी का विवाह बिना किसी मुहूर्त के करवाया। उन्होंने आंबेडकर को अपना आदर्श मानते हुए मंच पर दूल्हे-दुल्हन को शपथ ग्रहण करवाई। इस अनोखी शादी को देखकर और इसके बारे में जानकर सभी इस परिवार की तारीफ कर रहे हैं।
आमतौर पर अनेक रस्मों के साथ शादी ब्याह होते हैं। इन रीति रिवाजों से अलग इन दिनों ट्रेंड चल रहा है। जिसमें बिना दहेज की शादियां चर्चा में हैं। इधर भीलवाड़ा के बागोर में पंडित के मंत्रों, रीति रिवाजों और दहेज जैसे तमाम परंपराओं के बगैर हुई शादी को लेकर हर तरफ बातचीत हो रही है। युवा यह चर्चा कर रहे हैं कि क्या यह एक नया ट्रेंड बन सकता है!
इस तरह शादी के पीछे क्या है सोच?
बागोर कस्बे की ममता मेघवंशी का विवाह कोटडी उपखंड के मुरलिया गांव के प्रकाश चंद के साथ तय हुआ। ममता के पिता उदयलाल मेघवंशी ने आंबेडकर जयंती के दिन बिना किसी समारोह के विवाह संपन्न करवाया। दूल्हा और दुल्हन ने मंच पर आकर बाबा साहब के आदर्शों की शपथ लेते हुए एक दूसरे को वरमाला पहनाई। इस विवाह में न तो तोरण लगाया गया और न ही सात फेरे लिए गए। दूल्हे के पिता रामचंद्र बलाई जयपुर में शासन सचिवालय में कार्यरत हैं।
