जयपुर. कर्नाटक विधानसभा चुनाव होने के बाद अब राजस्थान कांग्रेस में चल रहे बवाल पर कभी भी बड़ा फैसला सामने आ सकता है। राजस्थान में कई माह से चल रहे सियासी घटनाक्रम को देखते हुए कांग्रेस हाईकमान ने मंगलवार को दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में राहुल गांधी, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिन्दर सिंह रंधावा सहित कुछ चुनिंदा बड़े नेताओं के हिस्सा लेने की बात सामने आ रही है। इस बैठक में शामिल होने के लिए सुखजिन्दर सिंह रंधावा करौली दौरे से अचानक दिल्ली पहुंच गए। बताया जा रहा है कि कांग्रेस में चल रहे घमासान को रोकने के लिए शीर्ष नेतृत्व की ओर से कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है।
पायलट से नाराज हैं रंधावा
सचिन पायलट की ओर से सरकार पर किए जा रहे सियासी हमलों से प्रदेश प्रभारी सुखजिन्दर सिंह रंधावा बेहद नाराज हैं। 11 अप्रैल को जब पायलट सरकार के खिलाफ अनशन पर बैठे थे, तब रंधावा ने कहा था कि पायलट का यह कदम पार्टी विरोधी है। ये अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। पायलट के इस निर्णय के खिलाफ रंधावा ने कांग्रेस हाईकमान को लिखित रिपोर्ट पेश की। मीडिया से बात करते हुए रंधावा ने ये कहा कि पायलट के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
जन संघर्ष यात्रा पर बिफरे रंधावा
एक दिन के अनशन के ठीक एक माह बाद 11 मई से सचिन पायलट ने अजमेर से जयपुर तक जन संघर्ष पद यात्रा निकाली। पायलट के मुताबिक यह यात्रा भाजपा राज में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ थी, लेकिन सब जानते हैं कि यह यात्रा अशोक गहलोत के खिलाफ थी। पायलट अपनी सभा में कई बार कह चुके हैं कि उन्होंने अपनी सरकार में तीन साल तक इंतजार किया। बाद में सरकार को पत्र लिखे। जब सालभर तक पत्रों का कोई जवाब नहीं दिया तो उन्हें जनता के बीच उतरना पड़ा। पायलट की यात्रा का विरोध करते हुए रंधावा ने कहा था कि इस यात्रा से कांग्रेस का कोई लेना देना नहीं है, जबकि यात्रा के समापन के दौरान जयपुर में हुई आमसभा में तीन मंत्री और एक दर्जन से ज्यादा कांग्रेसी विधायकों ने अपनी ही पार्टी की सरकार और सरकार के मुखिया को जमकर कोसा।
पायलट से पार्टी को नुकसान तय
सचिन पायलट की ओर से लगातार अपनी ही पार्टी की सरकार पर सवाल उठाने से कांग्रेस को नुकसान होना तय माना जा रहा है। हालांकि पायलट के पास नए विधायकों की संख्या ज्यादा है, लेकिन कई सीनियर कांग्रेसी नेता भी पायलट के समर्थन में डटकर खड़े हैं। इनमें पूर्व पीसीसी चीफ चौधरी नारायण सिंह, कैबिनेट मंत्री हेमाराम चौधरी, राजेन्द्र सिंह गुढ़ा, बृजेन्द्र ओला, दीपेन्द्र सिंह शेखावत, पूर्व मंत्री राजेन्द्र चौधरी सहित कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं। खासतौर पर गुर्जर समाज के युवा सचिन पायलट के पायलट के पूरे समर्थन में हैं। इन स्थितियों के कारण आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का समीकरण बिगड़ सकता है।
कर्नाटक चुनाव के चलते टली हुई थी कार्रवाई
सचिन पायलट के खिलाफ एक माह पहले ही कार्रवाई हो जाती, लेकिन कर्नाटक चुनाव के चलते ये कार्रवाई टाली जा रही थी। प्रदेश प्रभारी रंधावा सहित कई राष्ट्रीय स्तर के कई नेता सचिन पायलट की ओर से उठाए कदम से सहमत नहीं है। वे पहले ही कार्रवाई करना चाहते थे लेकिन राहुल गांधी ने इसे कुछ दिनों के लिए रोक दिया। पायलट ने सरकार के समक्ष तीन मांगें रखते हुए प्रदेशभर में आन्दोलन करने की चेतावनी दे दी है। ऐसे में चुनावी साल में पार्टी के खिलाफ जाकर प्रचार करने से पार्टी को नुकसान होना तय है। इस मसले पर अब पार्टी आलाकमान एक्शन का मूड बना रहा है।
