जयपुर. राजस्थान प्रदेश कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाने की कवायद जोर खाने लगी है। आने वाले कुछ समय में राजस्थान को कांग्रेस का नया प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार नए प्रदेशाध्यक्ष के लिए प्रदेश के एक्टिव कांग्रेसी लीडर की तलाश शुरू की जा रही है। नया पीसीसी चीफ सत्ता और संगठन में तालमेल बैठाकर काम करने वाला होगा। राजस्थान में विधानसभा चुनाव निकट हैं। ऐसे में आपसी गतिरोध पर ब्रेक लगाना बेहद जरूरी है। गहलोत और पायलट गुट में चल रही खींचतान के बीच राजस्थान में सरकार को रिपीट करना आसान नहीं होगा।
अचानक बनाना पड़ा था पीसीसी चीफ
वैसे गोविंदसिंह डोटासरा सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ से विधायक गोविंद सिंह हैं। गहलोत सरकार में शिक्षामंत्री भी रहे। उन्हे अचानक पीसीसी चीफ बनाना पड़ा। जुलाई 2020 में नेतृत्व परिवर्तन और अन्य मांगों को लेकर जब सचिन पायलट अपने समर्थकों के साथ मानेसर चले गए थे। तब कांग्रेस आलाकमान ने सचिन पायलट को पीसीसी चीफ और उप उपमुख्यमंत्री पद से बर्खास्त कर दिया थ। उस समय गहलोत सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे थे। ऐसे में गहलोत समर्थक विधायक होटल में बंद थे। जब सचिन पायलट को बर्खास्त करने का फरमान सुनाया तब उसी दौरान गोविंद सिंह डोटासरा को नया प्रदेशाध्यक्ष चुन लिया गया था। डोटासरा के नाम पर अचानक निर्णय लिया गया। ना तो स्टेट के लीडर्स से चर्चा की गई और ना ही केन्द्रीय नेतृत्व ने डोटासरा के नाम पर विचार विमर्श किया। ऐसे में कांग्रेस के कई नेता कहते हैं कि गोविंद सिंह डोटासरा पार्टी के एक्सिडेंटल पीसीसी चीफ हैं।
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पीसीसी चीफ से बात नहीं करते पायलट समर्थक विधायक
गोविंद सिंह डोटासरा पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष हैं। उनके लिए सभी नेता एक समान है। संगठन से असंतुष्ट चल रहे नेताओं से बातचीत करके उन्हें साथ बैठाने का काम प्रदेशाध्यक्ष का होता है, लेकिन डोटासरा ने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया। सचिन पायलट के समर्थित विधायक पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष से बात ही नहीं करते। पायलट और उनके समर्थक नेता प्रदेशाध्यक्ष से बिना पूछे अपने कार्यक्रम तक तय कर लेते हैं। सचिन पायलट जो मांगें उठा रहे हैं। उन मांगों पर पार्टी प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा का कोई स्पष्ट बयान भी सामने नहीं आया है। पायलट बार-बार कहते रहे हैं कि संगठन में मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं को सम्मान नहीं मिल रहा। सत्ता के साथ संगठन पर भी पायलट आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन कभी सुलह के बातचीत के प्रयास नहीं किए गए।
पायलट की चेतावनी के बीच सुलह ढूंढऩे की कोशिश
सचिन पायलट ने अपनी ही पार्टी की सरकार को चेतावनी दे रखी है। 15 मई को हुई आमसभा में पायलट ने सरकार के समक्ष तीन मांगें रखी थी। 15 दिन में मांगे पूरी नहीं होने पर प्रदेश में सरकार के खिलाफ उग्र आंदोलन छेडऩे की चेतावनी दी थी। पायलट के अल्टीमेटम को 9 दिन पूरे हो चुके हैं और मात्र 7 दिन शेष बचे हैं। पायलट की ओर से रखी मांगें पूरी होना संभव नहीं लग रहा है। ऐसे में अब कांग्रेस में बड़ा घमासान होना तय माना जा रहा है। इसी बीच पार्टी आलाकमान की ओर से 26 मई को दिल्ली में बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में आगामी चुनाव और खासतौर पर राजस्थान कांग्रेस में छिड़े गृहयुद्ध पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। इस दौरान नए प्रदेशाध्यक्ष के नाम पर भी विचार विमर्श किया जा सकता है।
