जयपुर. राजस्थान में रोडवेज में सफर करने वाले यात्रियों को आने वाले समय में फिर से मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। रोडवेजकर्मियों के सामने फिर से सैलेरी का संकट हो गया है। सरकार ने तय समय में अपना वादा पूरा नहीं किया है। लिहाजा रोडवेज कर्मचारी एक बार फिर से आंदोलन की राह पर जा सकते हैं। इसके तहत वे चक्का जाम जैसा कदम भी उठा सकते हैं। रोडवेजकर्मियों की मांगों के अनुरूप फिलहाल ना तो नई बसें आई हैं। ना नई भर्तियां शुरू हुई हैं और ना ही समय पर सेलरी दी जा रही है। ये चुनावी साल है। इस साल अगर रोडवेजकर्मी हड़ताल पर जाते है तो सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकता है।
गौरतलब है कि डेढ माह पहले चक्का जाम की घोषणा की थी। लेकिन राजस्थान रोडवेज के अधिकारियों के साथ कर्मचारियों की हुई बैठक के बाद जाम का फैसला वापस लिया था। बैठक में तय किया था कि एक माह में सभी मांगों को मान लिया जाएगा।सभी बकाया पूरे कर दिए जाएंगे, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।
तीन माह की सेलरी चल रही बकाया
आहत राजस्थान रोडवेज का संयुक्त मोर्चा फिर से एकजुट होने की तैयारी में लग गया है। राजस्थान स्टेट रोडवेज एम्पलॉइज यूनियन के पदाधिकारी एमएल यादव का कहना है कि रोडवेज प्रशासन अपने वादे से मुकर गया है। डेढ़ माह पहले तय हुई बैठक की सभी शर्तें नहीं मानी हैं। सभी शर्तें पूरा होना तो दूर की बात तीन माह की सेलरी अभी बकाया है।
बैठक को बीते डेढ़ माह
गौरतलब है कि रोडवेज एमडी नथमल डिडेल ने प्रदर्शनकारियों के साथ कुछ समय पहले बैठक की थी। डिडेल की अध्यक्षता में तय हुआ था कि चक्का जाम को टाला जाए और अगले एक माह में सभी प्राथमिक मांगों को मान लिया जाएगा। इस बैठक को हुए डेढ़ माह बीत चुका है। मांगें पूरी नहीं होने से रोडवेज संयुक्त मोर्चा फिर से आंदोलन की तैयारी में जुट गया है।
रोडवेजकर्मियों की ये हैं प्रमुख मांगें
जल्द ही संयुक्त मोर्चे की बैठक बुलाई जा रही है। इसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। यूनियन ने बताया कि जरूरत पड़ी तो रोडवेज के चक्का जाम फिर से करेगा। रोडवेज यूनियन की प्राथमिक मांगों में बकाया भत्तों का भुगतान, हर महीने समय पर तनख्वाह, रिक्त पड़े पदों पर भर्तियां और रोडवेज की खटारा हो चुकी बसों की जगह नई बसों के बेड़े को शामिल करना है।
