जयपुर. राजस्थान की सियासत में चार मार्च का दिन ऐतिहासिक ही रहा। एक तरफ भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया वहीं दूसरी तरफ राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी वसुंधरा राजे। दोनों ही नेताओं ने अपने-अपने कार्यक्रमों में ताकत का प्रदर्शन किया। चार मार्च को पूनिया की ओर से विधानसभा घेराव का युवा मोर्चा का कार्यक्रम तय किया गया था। वहीं दूसरी और पूर्व मुख्यमंत्री राजे की ओर से चूरू के सालासर कस्बे में अपने जन्मदिन पर कार्यक्रम आयोजित किया गया था। अने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ये शक्ति प्रदर्शन सियासी गलियारों में अपना एक अलग ही मैसेज दे रहा है। जिसकी चारों ओर चर्चा है। इसमें कौन सफल हुआ और कौन विफल ये तो जनता तय करेगी लेेकिन पार्टी दोनों के शक्ति प्रदर्शन को किस चश्मे से देख रही है। ये उन पर निर्भर करता है। लेकिन इससे एक बात तो साफ हो गई है कि पार्टी में इस तरह के कार्यक्रम धड़बंदी को उजागर कर रहे हैं। इन दोनों कार्यक्रमों को लेकर पार्टी के विधायक भी पशोपेश की स्थिति में थे। जयपुर जिले के एक विधायक ने कहा कि वे पहले जयपुर में पार्टी के विरोध प्रदर्शन के कार्यक्रम में शरीक हुए और इसके बाद वे सालासर पहुंचे। वे कहते हैं कि जब तक पार्टी वसुंधरा राजे की भूमिका को लेकर फैसला नहीं करती है तब तक रिस्क नहीं ले सकते।
पूनिया कैम्प का दावा प्रदर्शन दिनभर छाया रहा
दूसरी तरफ जयपुर में युवा मोर्चा के विरोध प्रदर्शन में शामिल भाजपा विधायक मदन दिलावर से सालासर नहीं जाने के सवाल पर कहा कि पार्टी का आधिकारिक कार्यक्रम तो जयपुर में था सालासर में नहीं। दिलावर ने तंज भी कसा कि जन्मदिन की तारीख तो निश्चित होती है। वह किसी भी दिन नहीं हो सकता है। उन्होंने संकेत दिया कि राजे का जन्मदिन तो आठ मार्च को है फिर पहले मनाना शक्ति प्रदर्शन ही है। जयपुर में गहलोत सरकार के खिलाफ युवा मोर्चा का प्रदर्शन भले ही सफल माना जा रहा हो, लेकिन राजे के प्रदर्शन को भी इससे कम नहीं माना जा सकता। उनके कार्यक्रम में करीब ५२ विधायक और १२ सांसदों की मौजूृदगी इस बात को साबित भी करती है। जबकि पूनिया के खेमे में 23 विधायक और सात सांसदों के प्रदर्शन में शामिल होने का दावा किया जा रहा है। युवा मोर्चा के इस कार्यक्रम में पार्टी के प्रदेश प्रभारी अरुण भी मौजूद रहे। दरअसल आपको बता दें कि ये ताकत का प्रदर्शन भी दरअसल सीएम फेस को लेकर है। क्योंकि आगामी समय में विधानसभा के चुनाव होने हैं।
बांटे थे एक लाख हनुमान चालीसा पाठ
जानकारी के अनुसार राजे ने ऐसा ही शक्ति प्रदर्शन अपने जन्मदिन पर बूंदी के केशोरायपाटन में किया था। तब राजे को बधाई देने पहुंचने वाले विधायकों और सांसदों को संख्या इससे भी अधिक बताई जा रही थीं। इतना ही नहीं राजे ने पिछली बार भी जन्मदिन का शक्ति प्रदर्शन मंदिर में पूजा अर्चना से किया था। इस बार भी सालासर के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना के साथ वहां शक्ति प्रदर्शन किया। इस बार तो टीम राजे ने एक लाख हनुमान चालीसा भी बांटे थे। राजे ने यह अपने समर्थक मुस्लिम नेता यूनूस खान के हाथों बंटवाए ताकि पार्टी को संदेश दे सके कि उनके नजदीकी यूनुस खान भी हिंदुत्ववादी हैं।
बीजेपी हाईकमान वसुंधराराजे पर चुप्पी क्यों साधे हुए है?
वसुंधरा राजे अच्छी तरह से जानती हैं कि भाजपा में सत्ता और नेतृत्व का रास्ता मंदिर और हिंदुत्व से निकलता है। इसलिए राजे मंदिर प्रेम में कोई कसर नहीं छोडना चाहती है। जन्मदिन समारोह के बाद भी राजे की देव दर्शन यात्रा जारी रहेगी। राजे 6 मार्च को गोविंद देवजी मंदिर और फिर जैसलमेर में तनोट माता मंदिर में दर्शन के लिए जाएंगी। राजे की देव दर्शन यात्रा पिछले डेढ़ साल से जारी है। अब सवाल यह है कि लगातार देव दर्शन और जन्मदिन पर शक्ति प्रदर्शन के जरिये लोकप्रियता साबित करने के बावजूद भाजपा हाईकमान वसुंधराराजे पर चुप्पी क्यों साधे है?
प्रभारी अरुण सिंह खुद भी बधाई देने सालासर पहुंचे
राजस्थान भाजपा के प्रभारी अरुण सिंह खुद जयपुर में पार्टी के प्रदर्शन के बाद बधाई देने सालासर पहुंचे थे। उनके साथ पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी भी थे। राजे के जन्मदिन समारोह मनाने की तारीख तय होने के बाद जयपुर में उसी दिन युवा मोर्चा के विरोध प्रदर्शन के फैसले को भी पार्टी हाईकमान की ही हरी झंडी माना जा रहा है, क्योंकि अरुण सिंह राजे के कार्यक्रम में जाने से पहले जयपुर के प्रदर्शन में पहुंचे थे।
ये भी है प्रमुख कारण
राजस्थान विधानसभा का चुनाव सिर पर है। ऐसे में भाजपा हाईकमान वसुंधरा राजे को किसी भी सूरत में नाराज नहीं करना चाहते हैं। कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि अगर राजे के शक्ति प्रदर्शन को पार्टी हाईकमान की हरी झंडी होती तो शायद जयपुर में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया युवा मोर्चा के उसी दिन विरोध प्रदर्शन को मंजूरी नहीं दे पाते। जानकारों का दावा है कि भाजपा हाईकमान राजे को नाराज नहीं करना चाहते है, लेकिन ताकत नुमाइश पर किसी फैसले के पक्ष में भी नहीं है।
आखिर राजे को लेकर पार्टी हाईकमान के मन में क्या है?
दरअसल भाजपा हाईकमान राजस्थान में सीएम फेस के सभी दावेदारों को अपनी ताकत दिखाने से नही रोक रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जिस तरह से राजस्थान में दो रैलियां एक महीने में हुई। उससे लग रहा है कि पार्टी पीएम मोदी के फेस पर राज्य में सामूहिक नेतृत्व से विधानसभा चुनाव लड़े. हालांकि राजस्थान को लेकर आधाकिरक फैसला पार्टी कनार्टक चुनाव के बाद कर सकती है। अभी भाजपा की प्राथमिकता कर्नाटक चुनाव है। यह दीगर बात है कि अरुण सिंह के बयान के बाद पार्टी के विधायकों से लेकर आम कार्यकर्ताओं और नेताओं में कंफ्यूजन और बढ़ गया कि आखिर राजे को लेकर पार्टी हाईकमान के मन में क्या चल रहा है?