जयपुर. सियासी गलियारों में इन दिनों बयानबाजी को लेकर कांग्रेस पार्टी में भूचाल आया हुआ है। पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पायलट पर तंज कसा और अब सचिन पायलट ने उनकी बात का जवाब देने से गुरेज नहीं किया है। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में ये माना जा रहा है कि दोनों के बीच तलवारें खींच गई है। जानकारी के अनुसार दो दिन पहले सीएम गहलोत ने पायलट और उनके समर्थित विधायकों पर भाजपा से 10-20 करोड़ रुपये लेने के आरोप लगाए थे। गहलोत के आरोपों का जवाब देते हुए सचिन पायलट ने कहा कि अशोक गहलोत की नेता सोनिया गांधी नहीं, बल्कि वसुंधरा राजे हैं। पायलट ने पूछा कि गहलोत स्पष्ट करें कि वह कहना क्या चाहते हैं। एक तरफ तो वे बीजेपी पर सरकार गिराने का आरोप लगाते हैं और दूसरी तरफ सरकार को बचाने का श्रेय वसुंधरा राजे को दे रहे हैं। पायलट ने कहा कि मेरे साथी विधायक हेमाराम चौधरी ने 100 करोड़ रुपये की जमीन समाज के लिए दान कर दी। करोड़ों रुपये लगाकर वहां छात्रावास बना दिया। ऐसे लोगों पर झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाना गलत और नींदनीय है।
कांग्रेस नेताओं को बदमान और बीजेपी के नेताओं की तारीफ क्यों कर रहे गहलोत
सचिन पायलट ने पूछा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी ही सरकार, अपनी ही पार्टी के विधायकों और नेताओं को बदनाम और बेइज्जत कर रहे हैं और भाजपा नेताओं का गुणगान कर रहे हैं। वह ऐसा क्यों कर रहे हैं। यह समझ से परे है। पायलट ने कहा कि वह पिछले ढाई साल से लगातार देख रहे हैं कि कांग्रेस के नेताओं को लगातार बदनाम किया जा रहा है। बहुत से साथियों को बड़े बड़े पद दिए गए। कुछ को मंत्री बनाया, कुछ आयोगों के अध्यक्ष के साथ पार्टी में बड़े पदों पर बैठे हैं। ऐसे लोग जो पब्लिक लाइफ में रहे और अपना नाम कमाया और उनकी एक साख है। उन लोगों पर आरोप लगा देना कि आप चंद रुपयों में बिक गए। यह बहुत गलत बात है।
पायलट ने ये उठाया सवाल
इसके अलावा पायलट ने गहलोत की पूर्व वसुंधरा राजे सिंधिया से अच्छे रिश्ते को लेकर भी सवाल उठाया। पायलट ने कहा कि सीएम बताएं कि उनके नेता सोनिया गांधी हैं या वसुंधरा राजे सिंधिया। यहां बता दें कि पिछले दिनों अशोक गहलोत ने कहा था कि 2020 में कांग्रेस की सरकार बचाने में वसुंधरा राजे सिंधिया ने मदद की थी।
सीएम गहलोत के ये थे आरोप
रविवार 7 मई को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि बीजेपी धनबल के आधार पर देश में सरकारें गिराने की साजिश करती रही है। कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में सरकारें गिरा दी थी। राजस्थान में भी सरकार गिराने का प्रयास किया था। गहलोत ने कहा कि अमित शाह, धर्मेन्द्र प्रधान और गजेन्द्र सिंह शेखावत ने राजस्थान में भी पैसे बांट दिए। वे पैसे वापस ले नहीं रहे हैं। गहलोत ने कहा कि उन्हें चिन्ता है कि वे लोग पैसा वापस क्यों नहीं ले रहे। उन्होंने कहा कि मैने तो हमारे विधायकों को यहां तक कह दिया कि जितना पैसा लिया है 10 करोड़ या 20 करोड़ रुपए। उनमें से कुछ खर्च भी कर दिया है तो खर्च किया हिस्सा मैं दे दूंगा। या फिर एआईसीसी से दिलवा दूंगा, लेकिन अमित शाह को पैसे वापल दो। उसका पैसा मत रखो। उसका पैसा रखोगे तो हमेशा दबाव बना रहेगा। वह गृहमंत्री भी है। वो धमकाएगा, डराएगा, जैसे गुजरात में डराता धमकाता है। गहलोत ने कहा कि महाराष्ट्र में धमका धमका कर शिवसेना के दो टुकड़े कर दिए। गहलोत ने कहा कि अमित शाह बहुत खतरनाक खेल खेल रहे हैं। गहलोत का यह बयान सचिन पायलट और उनका समर्थन करने वाले विधायकों पर सीधा रुपए लेने का आरोप था।
जुलाई 2020 की बगावत के दौरान हुई थी साजिश
जुलाई 2020 में सचिन पायलट और उनके समर्थित 21 विधायक राजस्थान छोड़कर मानेसर चले गए थे। उन दिनों गहलोत सरकार संकट में का गई थी। सरकार बचाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को विधायकों की बाड़ेबंदी करनी पड़ी। बाड़ेबंदी के दो दिन बाद ही तीन विधायक पालयट खेमा छोड़ गहलोत खेमे में आ गए थे। बाद में तीन निर्दलीय विधायक भी गहलोत के समर्थन में आ गए और सचिन पायलट के कट्टर समर्थक माने जाने वाले तत्कालीन कांग्रेस विधायक (अब दिवंगत) भंवरलाल शर्मा भी गहलोत के पाले में आए तो पायलट खेमा कमजोर पड़ गया। सरकार बचाने के लिए गहलोत को 34 दिन तक विधायकों के साथ होटल में रहना पड़ा। 14 अगस्त 2020 को गहलोत ने राजस्थान विधानसभा में बहुमत साबित किया और सरकार बच गई थी।
