जयपुर. Rajasthan Politics लाख कोशिशों के बावजूद कांग्रेस पार्टी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही खींचतान का कोई हल नहीं निकल पाया है। इससे ये कयास लगाए जा रहे हैं कि सचिन जल्द ही अपनी नई राहत चुन सकते हैं। जिसकी सियासी गलियारों में काफी चर्चा है। उन्होंने कई दिनों पहले ये तय किया था कि अब वे कांग्रेस में नहीं रहेंगे। 15 मई को जयपुर में आयोजित की गई आम सभा में पायलट ने क्या ऐलान किया था। सचिन पायलट की जन संघर्ष यात्रा के समापन के दौरान जयपुर में 15 मई को उन्होंने स्पष्ट कहा था कि जनसंघर्ष यात्रा में पैदल चलने वाले नौजवानों के पैरों के छालों की कसम, अब वे पीछे हटने वाले नहीं हैं। ये बयान सियासी गलियारों में चर्चा का विषय रहा है। इसके माध्यम से पायलट ने अपने इरादे सार्वजनिक सभा में जाहिर कर ऐलान कर दिया था कि उन्होंने अपनी नई राह चुन ली है। हालांकि कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता अभी भी उन्हें मैनेज करने में जुटे हैं। दावा कर रहे हैं कि पायलट कांग्रेस के साथ ही रहेंगे, लेकिन पायलट ने दिल्ली में हुई बैठक के बाद टोंक में अपने वादे पर अडिग रहने की बात दोहराई है।
कांग्रेस में रहकर कुछ नहीं कर पाएंगे सचिन पायलट
सचिन पायलट जानते हैं कि वे कांग्रेस में रहकर कुछ खास नहीं कर पाएंगे। पायलट नेतृत्व चाहते हैं और कांग्रेस में उन्हें नेतृत्व करने का मौका मिलना संभव नहीं है। कांग्रेस में गांधी परिवार के कई नजदीकी नेता ऐसे हैं जो संघर्षशील, ऊर्जावान युवा नेताओं को नेतृत्व की कमान सौंपने को तैयार नहीं है। सब जानते हैं कि कांग्रेस के कई युवा नेता जो कांग्रेस की धूरी हुआ करते थे। वे पिछले 4-5 सालों में कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। हालांकि बीजेपी में भी उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिली। ऐसे में सचिन पायलट भाजपा में शामिल होने के बजाय अपनी नई राजनैतिक पार्टी के जरिए चुनावी मैदान में ताल ठोकने वाले हैं।
टोंक में दिए बयान को करें याद
सचिन पायलट ने अपनी ही पार्टी की सरकार के समक्ष तीन मांगें रखते हुए 15 दिन का अल्टीमेटम दिया था। ये तीनों मांगें ऐसी है जिन्हें वर्तमान परिदृष्य में पूरा किया जाना गहलोत के लिए संभव नहीं है। 15 मई को सचिन पायलट की ओर से दिए अल्टीमेटम के बाद कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व उन्हें मैनेज करने में लगा हुआ है। 29 मई को दिल्ली में मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल के साथ अशोक गहलोत और सचिन पायलट की बैठक हुई। बैठक के दो दिन बाद सचिन पायलट अपने चुनाव क्षेत्र टोक के दौरे पर रहे। टोंक ने उन्होंने साफ कहा कि वे अपनी मांगों पर अडिग हैं। वे किसी भी कीमत पर झुकने को तैयार नहीं है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पायलट के इरादे क्या हैं।
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पायलट के सलाहकार बने
राजनैतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर को कौन नहीं जानता। प्रशांत किशोर भाजपा और कांग्रेस के मार्गदर्शक रहे हैं। अब उनकी कंपनी आईपैक सचिन पायलट के लिए नई राह चुनने का मार्ग तय कर रही है। प्रशांत की टीम पिछले कई महीनों से एक्टिव हैं और देश के नौजवानों को राजनीति से जुडऩे का आह्वान कर रही है। युवा सोच को राजनीति में अवसर प्रदान करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है और आईपैक का प्रयास काफी सफल होता नजर आ रहा है। पायलट भी प्रदेश के नौजवानों, किसानों और वंचित वर्ग को धूरी में रखकर नई ताल ठोकने वाले हैं। संभवतया 11 जून को के बड़ा ऐलान कर सकते हैं, क्योंकि 11 जून को उनके पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि है। पायलट का राजनीतिक भविष्य क्या होगा? यह 11 जून को तय होने की पूरी संभावना है।
