भरतपुर. राजस्थान के भरतपुर जिले के उच्चैन कस्बे में स्थित एकल ग्रामोत्थान फाउंडेशन में जैविक खाद से बागवानी और नकदी फसलें उगाने का काम किया जा रहा है। इस फाउंडेशन की ओर से उन फसलों की खेती पर भी काम किया जा रहा है, जो जलवायु के हिसाब से उगना असंभव है। शीत जलवायु में होने वाली अमेरिकन केसर की खेती को उगाकर यह साबित कर दिखाया कि थोड़ी सी मेहनत में भी फसल को किसी भी जलवायु में पैदा किया जा सकता है। कर्मचारियों ने बताया कि यहां सामान्य तौर पर सब्जियां उगाई जाती थीं। जिन्हें स्थानीय क्षेत्रों के साथ-साथ विदेशों में भी भेजा जाता है। इस संस्था के ऑनर एनआरआई अरुण कुमार गुप्ता के कहने पर जम्मू कश्मीर से बीज मंगाकर ट्रायल के रूप में एक बीघा भूमि में केसर की खेती शुरू की गई। तीन चार माह में यह फसल पककर तैयार हो चुकी है।
जम्मू कश्मीर से बीज मंगाकर ट्रायल के रूप में शुरू की खेती..
त्रिवेंद्र पाराशर ने बताया कि एकल ग्रामोथन फाउंडेशन में कई वर्षों से जैविक खाद से सब्जी और फलों की खेती की जा रही है। संस्था के ओनर के कहने पर शीत प्रदेशों में होने वाली केसर की खेती को भरतपुर जैसे क्षेत्र में जम्मू कश्मीर से अमेरिकन केसर का 65 हजार रुपए की कीमत पर 500 ग्राम बीज मंगाकर ट्रायल के रूप में खेती शुरू की। जिसमें वह पूर्ण रूप से सफल हो गए। अब यह फसल पककर तैयार है और आसपास के किसानों की ओर से इसके बीज की मांग की जा रही है।
एक बीघा में 5 से 6 किलो का उत्पादन
यहां पैदा की अमेरिकन केसर का उत्पादन एक बीघा में 5 से 6 किलो उत्पादन हुआ है। इसकी कीमत 60 हजार रुपए से अधिक है। यह औषधीय और गुणकारी पौधा होने से इसका उपयोग प्राचीन काल से ही आयुर्वेदिक चिकित्सीय के रूप में होता रहा है। इसी तरह की केसर को साबुन और सौन्दर्य प्रसाधन की चीज़ों के रूप में भी उपयोग में लिया जाता है।
