चूरू. ग्रेटर फ्लेमिंगो के हजारों पक्षियों ने इन दिनों जसवंतगढ़ वन क्षेत्र में डेरा डाल हुआ है। ये पक्षी अफ्रीका, मध्य एशिया तथा दक्षिण यूरोप में पाए जाते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम फिनीकोप्टेरस रोजियस है। डीएफओ सविता दहिया ने बताया कि समूचित भौगोलिक परिवेश नहीं मिलने के कारण ये प्रतिवर्ष तालछापर के अलावा सांभर, डीडवाना के नमक क्षेत्र में आते रहे हैं। इस क्षेत्र में जलाशयों के पास इस प्रजाति के पक्षियों की अच्छी तादाद देखी जाती है जो क्षेत्र के पक्षी प्रेमियों के लिए सुखद संकेत हैं।
ग्रेटर फ्लेमिंगों डरपोक, शर्मिली प्रवृति वाला पक्षी है। जो हल्की सी आहट से अपना स्थान छोड़ देते हैं। इनका मुख्य खान-पान जलीय कीट वनस्पति है। ये पक्षी गंदे पानी से भी भोजन निकालने की क्षमता रखते हैं। इनके गले में विशेष जाली होती है। जिसके जरिये भोजन के आवश्यक तत्व ले लेता है तथा बेकार तत्वों को छान कर बाहर फैंक देते हैं।
तीन से चार घंटे तक एक पैर पर खड़ा रहता है ये पक्षी
ये पक्षी एक पैर पर 3 से 4 घंटे खड़ा रह सकता है। इस खूबसूरत जीव को राजहंस के नाम से भी पहचानते हैं। मुख्य तौर पर अफ्रीका, मध्य यूरोप यह पाया जाता है। बेहद सुंदर दिखने वाला यह पक्षी 3 से 4 घंटे तक एक पैर पर खड़ा रह सकता हैं। यहां तक की एक पैर पर इतनी ही समयावधि तक नींद भी ले सकता है।
इसलिए करता है यहां प्रवास
फ्लेमिंगो एक प्रवासी पक्षी है, जो ठंड से बचने के लिए और भोजन की तलाश में एशिया में प्रवास करता है। विश्व में राजहंस की छह प्रजातियां हैं जबकि भारत में दो प्रजातियां पाई जाती हैं-ग्रेटर फ्लेमिंगो (बड़ा राजहंस) और लेसर फ्लेमिंगो (छोटा राजहंस).दुनिया मे सबसे अधिक पाए जाने वाले छोटे राजहंस, (फीनिकोनियस माइनर) को 2006 के आईयूसीएन रेड लिस्ट ऑफ थ्रेटड स्पीशीज में नियर थ्रेटड के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
